Bhubaneswar/Alive News : केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने निर्माणाधीन बमीखाल ओवरब्रिज दुर्घटना स्थल का मुआयना किया।
एक अखबार के अनुसार, शनिवार को घटनास्थल पहुंचे केंद्रीय मंत्री प्रधान ने मौका-मुआयना करने समेत स्थानीय लोगों के साथ ब्रिज निर्माण एवं घटना के संदर्भ में जानकारी ली। इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री प्रधान ने घटना पर दुख प्रकट करते हुए दुर्घटना के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को दोषी ठहराया।
उन्होंने कहा कि राजधानी में हो रही बार-बार दुर्घटना के बावजूद सरकार की नींद नहीं टूट रही है। इससे पहले बीते साल सितंबर में हुई दुर्घटना के बाद सरकार को समझ नहीं आया और काली सूची में डालने के बावजूद सरकार ने उसी ठेकेदार को फिर कार्य करने का दायित्व दे दिया।
यह आश्चर्यजनक है। प्रधान ने कहा कि केवल भुवनेश्वर में ही नहीं बल्कि संबलपुर, जटनी तथा अनेक प्रोजेक्ट का काम इस संस्था को दिया गया है। बार-बार दुर्घटना के बावजूद सरकार की नींद नहीं टूट रही है। इस प्रकार के प्रोजेक्ट के लिए जिनकी गुणवत्ता नहीं है, उन्हें ठेका दिया जा रहा है, इस घटना से यह प्रमाणित हो गया है।
प्रधान ने कहा मैं राज्य सरकार से अनुरोध करता हूं कि यह राजधानी की लाइफ लाइन ब्रिज बनने वाला है। बमीखाल को शहीद नगर से जोड़ने वाले इस ब्रिज पर हर दिन हजारों वाहनों का आवागमन होगा। ऐसे में देश की विश्वसनीय संस्था आइआइटी चेन्नई जैसी संस्था से इस ब्रिज की जांच करायी जानी चाहिए। निचले स्तर के एक दो कर्मचारी को दंड देने के बजाय सही दोषी को उपयुक्त दंड दिया जाए। लोगों में पुन: विश्वास पैदा किया जाए।
स्थानीय भाजपा नेता जगन्नाथ प्रधान ने कहा कि सात महीने में यहां दो लोगो की जान चली गई है, मगर सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि घटना के लिए दोषी कौन है, मृतक परिवार को न्याय मिलना चाहिए। राज्य भाजपा उपाध्यक्ष पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि यह सब भ्रष्टाचारी बीजद सरकार के कारण हो रहा है।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक नर हत्या के दोषी हैं। ठेकेदार संस्था के मालिक को दंडित किया जाना चाहिए। प्रवक्ता गोलक नायक ने कहा कि यह सब पीसी सरकार का जादू है। उन्होंने मृतक परिवार के लिए सरकार की ओर से घोषित धन राशि ठेकेदार से दिलाने की मांग की। नायक ने आरोप लगाया कि ब्रिज निर्माण में प्रयोग सरिया घटिया स्तर की है। इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए।