Chandigarh/Alive News: भिवानी बोर्ड के एक निजी स्कूल द्वारा दो बच्चों की दस लाख बकाया फीस दिखाए जाने पर मामला हाई कोर्ट पहुंचा है। संबंधित मामले पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने सीनियर सेकेंडरी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है इसके अलावा हाईकोर्ट ने इस मामले पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है कि निजी स्कूल ने बच्चों को स्कूल छोड़ने के बाद प्रमाण पत्र पर विस्तृत अंकतालिका ना ना देकर बहुत अनुचित कार्य किया है। अभी तक स्कूल के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की गई है और ना ही कोई दस्तावेज जारी जारी किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि भिवानी के हालुवास गेट क्षेत्र वासी महिला कृष्णा उनके संगठन के समक्ष शिकायत लेकर आई थी। इसमें उसने बताया था कि भिवानी के एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उसके दो बेटे दसवीं और 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं। निजी स्कूल संचालक ने उसके बच्चों के विस्तृत अंक तालिका देने व स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र देने के नाम पर 10 लाख रुपये बकाया फीस दिखा दिया हैं। महिला ने इस संबंध में सीएम विंडो में शिकायत दी है। जिसके बाद विभाग ने उसकी दो स्कूल प्राचार्यों से जांच करवाई
जांच में भी निजी स्कूल द्वारा बच्चों के अभिभावक से 10 लाख रुपये मांगा जाना अनुचित करार दिया था, लेकिन इस जांच के बाद भी शिक्षा विभाग ने न तो बच्चों के दस्तावेज दिलाए न निजी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई की। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि पीड़ित महिला शिकायत लेकर आई तो संगठन के अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका लगाई। जिस पर सुनवाई करते हुए आठ दिसंबर को हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी के साथ शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व निदेशक को नोटिस जारी करते हुए 21 दिसंबर तक मामले में जवाब तलब किया है।