लेखक, विचारक व वरिष्ठ टीवी पत्रकार डॉ. प्रवीण तिवारी ने कहा कि अलग हटकर सकारात्मक काम करते हैं। दुनिया उन्हें ही याद रखती है। शहीदों का संपूर्ण जीवन देखें तो वे हमारे लिए प्रकाशपुंज की तरह है। समाज व देश के लिए समर्पण की भावना और उनके सकारात्मक विचार से युवाओं को सीखने की जरूरत है।
शहीदे-आजम भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव जैसे देशभक्तों के समय में भी बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों के समाज को उत्कृष्ट देने वाले लोग होंगे। लेकिन आज सभी इन तीन सपूतों को आखिर क्यूं याद कर रहा है। क्यूंकि इनके जीवन का कण-कण समाज व देश को समर्पित था। जब हम इस भाव से काम करते हैं तो अमरत्व को प्राप्त कर लेते हैं। यही भाव सकारात्मक रूप में अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।
वे एनएच 3 स्थित डीएवी शताब्दी कॉलेज में शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रोदय: सशक्त युवा-सशक्त भारत विषय पर विचार रख रहे थे। इसके आयोजन में सूर्या ट्रस्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। इसके पहले सभी अतिथियों ने शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव के चित्र के सामने पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया
उन्होंने कहा कि विश्व में भारत से युवा देश है। इस ताकत को उभारने की जरूरत है। युवा खूब सपने देखें। उस सपनों को पूरा करने के लिए जी जान से जुट जाएं। उन्होंने कहा कि जिद करना है सकारात्मक बदलाव के लिए। जिससे दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़े। यह संभव है और इसी सदी में संंभव है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रिंसिपल डॉ. सतीश आहूजा ने की। उन्होंने कहा कि युवा अपनी जिम्मेवारी समझें।
अनुशासित होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तो निश्चित तौर पर एक सशक्त समाज का निर्माण होगा। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. सुनीति आहूजा ने कार्यशाला के उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भौतिक युग में युवा दुविधाग्रस्त न हो। वे लक्ष्य पर केंद्रित होकर आगे बढ़ें। यह उद्देश्य है। कार्यशाला में उक्त विशेष पर परिचर्चा का भी आयोजन किया गया।
इसका संचालन वरिष्ठ टीवी पत्रकार अर्चना तिवारी ने की। उन्होंने कहा कि बदलते आधुनिक परिवेश में युवाओं की जिम्मेवारी पहले से काफी अधिक बढ़ गई है। उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति संवेदनशील होना पड़ेगा। कार्यक्रम को सफल में डॉ. अंकुर अग्रवाल, सरोज कुमार, प्रमोद कुमार, महेंद्र ङ्क्षसह, स्तुति टंडन, अंजलि मनचंदा, विशाल, रजत, आदित्य, सोनू, आशुतोष, जतिन, अभिषेक, धृति आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।