May 6, 2024

तंबाकू के जहर में दर्दनाक घातक बीमारियों से धुँआ होती जिंदगियां

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

हमारे समाज और देश में तंबाकू का जहर पीढ़ी दर पीढ़ी को लगातार तबाह कर दर्दनाक मौत के कगार पर खड़ा कर रहा है। विडंबना देखिये कि तंबाकू जैसा नशीला घातक जहर हमारे आसपास बड़ी ही आसानी से उपलब्ध होता है। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवा वर्ग, महिला और बुजुर्ग तक तंबाकू की लत के आदी बन चुके है। घर-परिवार, चौराहा, बाजार, दफ्तर, संस्थान या कोई भी क्षेत्र हो, तंबाकू मुँह में दबाये या सिगरेट फूंकते अनेक लोग नजर आते है। सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान निषेध होने के बावजूद भी लोग नियम तोड़ते है। आजकल तो शहरों में ई-सिगरेट का ट्रेंड खूब चल पड़ा है, जो नई पीढ़ी को आकर्षित कर रहा है। तंबाकू का सेवन बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, सिगार, चुट्टा, धुमती, चिलम, चेरूट, गुटखा, खैनी, जर्दा, तंबाकू पान मसाला, तंबाकू पान सुपारी, मावा, स्नस (चूसने वाला रूप), मिश्री, गुल, गुधाकू, सुंघनी या नसवार आदि के रूप में किया जाता है। तंबाकू जलाने पर उस धुएँ से निकलने वाले कई जहरीले रसायन और यौगिक मानव शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। तंबाकू से निकलनेवाला निकोटिन भी हेरोइन, कोकीन और अल्कोहल के समान ही नशे की लत है, यह निकोटिन सेकंड के भीतर मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। धूम्रपान फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, मांसपेशियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम कर सहनशक्ति को भी कम करता है, निकोटिन के अलावा तंबाकू में अमोनिया, आर्सेनिक, कार्बन मोनोऑक्साइड, टार, नेफ़थलीन, रेडियोधर्मी यौगिक, हाइड्रोजन साइनाइड, सीसा, चूना, कैडमियम, मेन्थॉल जैसे जहरीले तत्व होते है। तंबाकू मानवीय शरीर को घातक बीमारियों की ओर धकेलता है।

तंबाकू पीड़ादायक जानलेवा बीमारियों का निर्माणकर्ता
धूम्रपान करने वाले अन्यों के मुकाबले 13-14 साल पहले मर जाते है। हर साल, एचआईवी/एड्स, अवैध दवाओं, आत्महत्याओं, हत्याओं, सड़क दुर्घटनाओं और आग से संयुक्त रूप से जितने लोगों की मृत्यु होती है, उससे अधिक लोगों की मृत्यु तंबाकू से होती है। हर दिन 2800 और हर साल 10 लाख भारतीय तंबाकू संबंधित रोगों के कारण असमय जान गवाते है। 35-69 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए भारत में वर्ष 2011 में तंबाकू के उपयोग के कारण सभी बीमारियों से कुल आर्थिक लागत 1,04,500 करोड़ रुपये थी। धूम्रपान करने वालों को फेफड़ों के कैंसर होने की संभावना 20-25 गुना अधिक होती है, दिल का दौरा पड़ने की गुंजाईश 2-3 गुना ज्यादा, अचानक मौत का 3 गुना ज्यादा खतरा, स्ट्रोक का 2 गुना अधिक जोखिम, सांस की तकलीफ से पीड़ित होने की संभावना 3 गुना अधिक होती है। लंबे समय तक तंबाकू का सेवन करने से फेफड़े, मुंह, होंठ, जीभ, भोजन नली, गले और मूत्राशय का कैंसर हो सकता है। तंबाकू का धुआँ 70 कैंसर पैदा करने वाले तत्वों सहित 7,000 से अधिक रसायनों का एक जटिल मिश्रण है। वैश्विक स्तर पर, हर साल 600,000 मौतें सेकंड हैंड स्मोक के कारण होती हैं। सेकंड हैंड धूम्रपान अर्थात हम धूम्रपान न करते हुए लेकिन धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आने से घातक बीमारियों का शिकार होते है। दुनिया के लगभग आधे बच्चे तंबाकू के धुएं से प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार मुख्य तथ्य
तंबाकू इसके आधे उपयोगकर्ताओं को मारता है। प्रत्येक सिगरेट जीवन को लगभग 8 से 11 मिनट तक कम कर देती है। तंबाकू हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की जान लेता है। उन मौतों में से 70 लाख से अधिक सीधे तंबाकू के उपयोग का परिणाम हैं जबकि लगभग 12 लाख गैर-धूम्रपान करने वालों के दूसरे हाथ के धुएं के संपर्क में आने का परिणाम हैं। दुनिया के 130 करोड़ तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से 80% से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। 2020 में, वैश्विक आबादी का 22.3%, सभी पुरुषों का 36.7% और दुनिया की 7.8% महिलाओं ने तंबाकू का इस्तेमाल किया। भारत में हर साल लगभग 13.5 लाख लोगों की मृत्यु का कारण तंबाकू है, यानी एक दिन में औसतन 3,699 मौतें, 154 हर घंटे। प्रत्येक 5 में से 1 पुरुष की मृत्यु तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के कारण होती है।

देश में तंबाकू से बर्बादी की स्थिति
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा जारी नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020, अनुसार देश में कैंसर के सभी मामलों में से 27% के लिए तंबाकू जिम्मेदार है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 26.7 करोड़ वयस्क तंबाकू के उपयोगकर्ता हैं। वर्ष 2017-18 में भारत में 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए तंबाकू के उपयोग से होने वाली सभी बीमारियों के कारण होने वाली कुल आर्थिक लागत 177341 करोड़ रुपये थी। देश के केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के नेशनल फैक्ट शीट ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (जीवाईटीएस-4), 2019 अनुसार, 13-15 आयु वर्ग के छात्रों में से लगभग पांचवां हिस्सा अपने जीवन में किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पाद का उपयोग करता है। लड़कों में तंबाकू सेवन की व्यापकता 9.6% और लड़कियों में 7.4% है। तंबाकू धूम्रपान का प्रचलन 7.3% है। धूम्ररहित तंबाकू उत्पाद के मामले में प्रसार 4.1% है। छात्रों के बीच ई-सिगरेट का उपयोग 2.8% है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में छात्रों के बीच तंबाकू का वर्तमान उपयोग अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम (प्रत्येक में 58%) से लेकर हिमाचल प्रदेश (1.1%) और कर्नाटक (1.2%) में सबसे कम है। तंबाकू की कुल लागत भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 1.04% के बराबर है, और डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार, तंबाकू से संबंधित बीमारियों के इलाज पर प्रत्यक्ष स्वास्थ्य व्यय भारत में कुल वार्षिक निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय का 5.3% है।

जागरूकता और समझदारी बचाएगी अनमोल जिंदगी
नशा सिर्फ नाश करता है, चाहे वह किसी भी चीज का हो। धूम्रपान करनेवाला व्यक्ति तो गंभीर बीमारियों का शिकार होकर जान गवांता ही है, लेकिन उस धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आनेवाले परिजन या वहां सांस लेने वाले अन्य लोग भी घातक बीमारियों के चपेट में आ जाते है जिसे सेकंड हैंड स्मोक करना कहते है। तंबाकू मनुष्य के शरीर को अंदर से पूरी तरह खोखला कर कमजोर बना देता है, शरीर खराब करके पीड़ादायक जानलेवा बीमारियां द्वारा असमय दर्दनाक मौत के मुँह में डाल देता है। ये अधिकतर बीमारियां भी बहुत खर्चीली होती है। इलाज के लिए जमा पूंजी खर्च करके, कर्ज के बोझ तले दबकर भी अनेक बार इन बीमारियों से छुटकारा नहीं मिलता है। हम अपनी अनमोल जिंदगियों को खुद ही घुट-घुट कर ख़त्म कर रहे है। तंबाकू की लत छुड़ाने के लिए सबसे आवश्यक जागरूकता, इच्छाशक्ति और समझदारी है। भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जाता है। तंबाकू छोड़ने के लिए नेशनल टोबैको क्विट लाइन सर्विसेज के टोल फ्री क्रमांक 1800 112 356 पर कॉल करें या इस नंबर 011-22901701 पर मिस्ड कॉल देकर तुरंत मदद पा सकते है। देश के उज्जवल भविष्य को संवारने वाली पीढ़ी को हमें आज नशे के जहर से बचाना होगा। बच्चों को नशे से दूर रखने में पालक और शिक्षक की भूमिका बहुत अनमोल है। नशा न करें और दूसरों को भी नशामुक्ति के लिए प्रेरित करें। अपनी और अपनों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए नशा मुक्त जीवन का संकल्प करें।

(लेखक के विचार और आकड़ों का स्रोत स्वयं का है)