New Delhi/Alive News : महिलाओं के शरीर में बनने वाले एग्स के बारे में बहुत कम लोगों को सही जानकारी होती है. अमेरिका की मेडिकल राइटर रैंडी हटर एपस्टीन ने अपनी किताब ‘गेट मी आउट’ में एग्स और प्रेग्नेंसी से जुड़ी कई दिलचस्प जानकारियां दी हैं. इसमें इन्होंने एग्स रिलीज होने से लेकर, स्पर्म के साथ तालमेल और भ्रूण बनाने में इसकी भूमिका के बारे में बताया है. आइए जानते हैं इन तथ्यों के बारे में.
एग्स जल्दी बनते हैं
एग्स जल्दी बनते हैं- बेबी गर्ल के शरीर में नौ सप्ताह के बाद ही एग्स बनने शुरू हो जाते हैं. ये एग जन्म के नौ हफ्ते बाद नहीं बल्कि गर्भधारण के 9 हफ्ते के बाद ही बनने लगते हैं. जब फीमेल भ्रूण 5 महीने का हो जाता है, तब तक ये 70 लाख से ज्यादा अपरिपक्व अंडाणु बना चुका होता है.. बच्चे के जन्म के समय तक, इन अपरिपक्व अंडाणुओं में से अधिकांश मर जाते हैं. यह बिल्कुल सामान्य स्थिति है. मोटे तौर पर कहें तो इसकी मोटाई एक बाल के बराबर होती है. शरीर की कोई भी अन्य कोशिका इतनी बड़ी नहीं होती है.
एग्स कीमती होते हैं
एग्स कीमती होते हैं- औसतन, महिलाएं अपने जीवनकाल में केवल 400 से 500 अंडे ओव्यूलेट करती हैं. यह स्पर्म की तुलना में बहुत कम हैं. वास्तव में, पुरुषों के एक बार के इजैक्युलेशन में जितने स्पर्म सेल्स निकलते हैं, उतने एग्स महिलाओं के शरीर में बनने में पूरा जीवन लग जाता है. शायद यही वजह है कि एग्स की कीमत स्पर्म से कहीं अधिक होती है. एग डोनर सिर्फ एक एग के लाखों कमा सकता है जबकि स्पर्म डोनर को हर इजैक्युलेशन के लिए इससे बहुत कम पैसे मिलते हैं.
एग्स धीरे-धीरे बड़े होते हैं
एग्स धीरे-धीरे बड़े होते हैं- शरीर की अन्य कोशिकाओं के विपरीत, अंडे की कोशिकाओं को बड़ा होने में सालों लग जाते हैं. ये कई सालों से ओवरी के अंदर अपरिपक्व अवस्था में रहते हैं और ओव्यूलेशन की प्रक्रिया के दौरान परिपक्व होते हैं.
अंडे नाजुक होते हैं
अंडे नाजुक होते हैं- महिलाओं के शरीर में बनने वाले एग्स बहुत नाजुक होते हैं. इन्हें फ्रीज कराने के लिए विट्रिफिकेशन नाम की एक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक में एग्स की बाहरी परत को मजबूत बनाया जाता है. इसके लिए इन्हें कांच के कंटेनर में बंद किया जाता है.
उम्र बढ़ने के साथ एग्स की क्षमता कम हो जाती है
उम्र बढ़ने के साथ एग्स की क्षमता कम हो जाती है- एक युवा महिला के शरीर में बहुत सारे हेल्दी एग्स होते हैं. दरअसल, 21 साल की महिला के करीब 90 फीसदी अंडे सक्षम होते हैं. वहीं, एक 41 साल की महिला के लगभग 10 फीसद अंडों में ही फर्टिलाइज होने की क्षमता रहती है. यही वजह है कि सही पार्टनर मिलने तक कई महिलाएं अपने एग्स निकालकर फ्रीज करवा लेती हैं.
स्पर्म चुनने का विशेष अधिकार
स्पर्म चुनने का विशेष अधिकार- लाखों स्पर्म एग्स में मिल जाने की कोशिश करते हैं लेकिन एग्स में स्पर्म चुनने की एक विशेष क्षमता होती है. इसके हिसाब से अगर एक स्पर्म एग में चला गया तो दूसरा स्पर्म फिर अंदर नहीं जा सकता है. अंडे में एक विशेष ‘ऑर्गेनेल’ होता है जो प्रोटीन और एंजाइम निकालता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दूसरा स्पर्म एग के अंदर ना जा पाए.
एग्स में प्रेग्नेंसी की सारी क्षमता होती है
एग्स में प्रेग्नेंसी की सारी क्षमता होती है- बहुत पहले ऐसी धारणा थी कि स्पर्म की वजह से ही प्रेग्नेंसी संभव है जबकि अब सबको पता है कि इसमें एग्स की अहम भूमिका होती है. एग्स होने वाले बच्चे को आधे जीन्स देते हैं इसके अलावा इनमें स्पर्म-एग्स को जोड़ने की भी क्षमता होती है. एग का डीएनए इसके केंद्र में लटकता है, जो एक तंतु के माध्यम से टिका रहता है.
एग्स डोनेट करना आसान काम नहीं
एग्स डोनेट करना आसान काम नहीं- स्पर्म डोनेशन बेहद आसान होता है जबकि एग डोनेशन में बहुत ही जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. एग्स डोनर को सबसे पहले हार्मोन इंजेक्शन लगाया जाता है जो अंडाशय को हाइपरस्टिम्युलेट करते हैं ताकि वो एक नहीं बल्कि दर्जनों अंडे बना सकें. जब एग्स रिलीज होने का समय आता है तो डॉक्टर्स बर्थ कैनाल में कैथेटर डालते हैं ताकि फ्लूइड के जरिए एग्स को निकाला जा सके.