New Delhi/Alive News : मां आदिशक्ति की उपासना के पावन पर्व शारदीय नवरात्रि की आज महानवमी तिथि है और महानवमी पर कंजक पूजन के साथ ही नवरात्रि का समापन हो जाएगा। इस दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। वैसे तो नवरात्रि के पूरे नौ दिनों को बेहद खास माना गया है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। ज्यादातर लोग नवमी तिथि को मां के नौ स्वरुपों की प्रतीक नौं कन्याओं का पूजन करते हैं और उन्हें भोजन करवाते हैं।
नवरात्रि व्रत के समापन पर कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि नौं कन्याओं के पूजन के बाद ही व्रत पूर्ण माने जाते हैं। दुर्गा सप्तशती में भी कन्या पूजन का महत्व विस्तार से बताया गया है। नवरात्रि के दिनों में कन्याओं को अपार शक्ति मां जगदंबा का स्वरूप मानकर आदर-सत्कार करने एवं भोजन कराने से घर में सुख-समृद्धि व मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है।
महनवमी के दिन 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं के पूजन का प्रावधान माना गया है। दो वर्ष की कन्या को कौमारी, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या चण्डिका, सात से आठ वर्ष की कन्या शांभवी और नौ वर्ष की कन्य दुर्गा स्वरूप कहलाती है। इस तरह से नौं कन्याओं के पूजन का फल भी अलग-अलग प्राप्त होता है।