November 23, 2024

जानें शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व

प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है?
Faridabad/Alive News : हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।

प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए-
इस व्रत में पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। सुबह स्नान करने के बाद दूध पी सकते हैं। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद फलाहार कर सकते हैं।

लंबी आयु और संतान सुख के लिए प्रदोष व्रत कब से शुरू करना चाहिए?
लंबी आयु की कामना करने वालों को जिस त्रयोदशी के दिन रविवार पड़े, उस दिन से प्रदोष व्रत प्रारंभ करना उत्तम माना जाता है। संतान सुख की कामना करने वालों को प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की जिस त्रयोदशी को शनिवार पड़े, उस दिन से व्रत प्रारंभ करना चाहिए।

प्रदोष व्रत से क्या लाभ होता है?
प्रदोष व्रत के लाभ: मान्यता है कि प्रदोष व्रत उन दंपत्तियों के लिए लाभप्रद होता है जो संतान सुख से वंचित हैं। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से संतान रत्न की प्राप्ति होती है। बुधवार का प्रदोष व्रत समृद्ध जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। नर-नारी कोई भी प्रदोष व्रत अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रख सकता है।

प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करते हैं?
प्रदोष वाले दिन प्रात:काल स्नान करने के पश्चात भगवान शिव का षोडषोपचार पूजन करना चाहिए। दिन में केवल फलाहार ग्रहण कर प्रदोषकाल में भगवान शिव का अभिषेक पूजन कर व्रत का पारण करना चाहिए। प्रदोष-व्रत में प्रदोषकाल का बहुत महत्व होता है। प्रदोष वाले दिन प्रदोषकाल में ही भगवान शिव की पूजन संपन्न होना आवश्यक है।

2021 में प्रदोष व्रत कब है?
हिंदु मानयताओं के अनुसार यह महीना बेहद शुभ होता है। इसी के साथ ही वैशाख मास का पहला प्रदोष व्रत 8 मई 2021 को रखा जाएगा। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत (Kab Hai Pradosh Vrat) भी कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva Puja Vidhi) की पूजा की जाती है।