November 16, 2024

जानें मां लक्ष्मी के व्रत का महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में मां लक्ष्‍मी के विभिन्‍न स्‍वरूपों की पूजा और आराधना की जाती है। कोई धन लक्ष्‍मी, कोई वैभव लक्ष्‍मी, कोई गजलक्ष्‍मी तो कोई संतान लक्ष्‍मी के रूप में उन्हें पूजता है। मनोकामना के अनुसार भक्त मां लक्ष्‍मी के स्‍वरूप की पूजा अर्चना करते हैं।

व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार यदि लंबे समय से और काफी प्रयासों के बाद आपका कोई सोचा हुआ काम नहीं बन पा रहा है। धन के मामले में लगातार हानि हो रही है और विद्यार्थियों को सफलता नहीं मिल पा रही है तो शुक्रवार को वैभव लक्ष्‍मी का व्रत करने से उन्‍हें सफलता प्राप्‍त हो सकती है। वैभव लक्ष्‍मी की कृपा से आपकी सभी मनोकामना पूरी होती है।

व्रत की पूजा विधि
शुक्रवार के दिन प्रात:काल स्‍नान के बाद महिलाएं शुद्ध होकर साफ वस्‍त्र धारण करें। सुबह मंदिर की साफ-सफाई करें और मां लक्ष्‍मी का ध्‍यान करके सारा दिन व्रत रखने का संकल्‍प लें। पूरे दिन आप फलाहार करके यह व्रत रख सकते हैं। चाहें तो शाम को व्रत पूर्ण होने के बाद अन्‍न ग्रहण कर सकते हैं। शुक्रवार को पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को स्‍नान करें। पूजन करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं। उसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर वैभव लक्ष्‍मी की तस्‍वीर या मूर्ति स्‍थापित करें। वैभव लक्ष्‍मी की तस्‍वीर के सामने मुट्ठी भर चावल का ढेर लगाएं और उस पर जल से भरा हुआ तांबे का कलश स्‍थापित करें। कलश के ऊपर एक छोटी सी कटोरी में सोने या चांदी का कोई आभूषण रख लें। वैभव लक्ष्‍मी की पूजा में लाल चंदन, गंध, लाल वस्‍त्र, लाल फूल जरूर रखें।