Riyadh: सऊदी अरब में पहली बार अकेली महिलाओं की दोबारा शादी कराने के लिए पुरुष आगे आए हैं। उन्होंने एक संस्था बनाई है। वे तलाकशुदा व विधवा महिलाओं को फिर से शादी के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनकी शादी करवा रहे हैं। वैवाहिक पोर्टल भी बना रहे हैं। जिसकी मदद से महिलाएं शादी के लिए पुरुष तलाश सकेंगी।
महिलाओं के लिए रिकॉर्ड है बेहद खराब…
दरअसल, महिलाओं के अधिकारों के मामले में सऊदी अरब का रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा नहीं है। चाहे वह रोजमर्रा की जिंदगी हो। या फिर निजी जिंदगी। कई ऐसे काम हैं, जिन्हें करने की कानूनी अनुमति नहीं है। और जिनकी अनुमति है भी, उसे वे पुरुषों के ताने-बाने के चलते कर नहीं पाती हैं। इसलिए बड़ी संख्या में महिलाएं अविवाहित ही रह जाती हैं। यहां करीब 20 लाख से भी ज्यादा महिलाएं बिना शादी के जीवन जी रही हैं। इनमें ज्यादातर विधवा और तलाकशुदा हैं। कानून के मुताबिक इन महिलाओं को फिर से शादी की इजाजत है, लेकिन महिलाएं दोबारा शादी नहीं करती हैं। इस संस्था को 100 लोगों ने मिलकर शुरू किया है। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, धार्मिक विद्वान और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर आदि शामिल हैं। आठ महिलाएं भी सदस्य हैं।
संस्थापक आतल्लाह अल अबार बताते हैं ‘हम पुरुषों को अकेली रहने वाली महिलाओं को लाइफ पार्टनर बनाने के लिए प्रेरित करेंगे। ताकि महिलाओं की दोबारा शादी हो सके। महिलाएं भी शादी के लिए पुरुषों का चयन कर सकती हैं।’ सऊदी अरब में बहुविवाह आम है। और इसमें इस्लाम के सारे नियम लागू होते हैं। इस्लाम में किसी पुरुष को एक साथ चार महिलाओं से शादी करने की इजाजत है। सऊदी में महिलाओं की जबरन शादी कर देना आम बात है। यहां तक कि माता-पिता बिना लड़की को बताए शादी कर देते हैं। महिलाएं औपचारिक रूप से काम करने या पैसे कमाने का हक नहीं रखती हैं। यदि फिर भी वे किसी प्रकार का काम करना चाहती हैं तो उन्हें पहले इस्लामी मामलों के मंत्रालय से अनुमति लेनी होती है। बहुत से काम करना महिलाओं के लिए अपराध है। महिलाओं की मासिक आय पुरुषों की तुलना में बहुत कम है। जब सऊदी अरब ने पहली बार महिला एथलीट्स को लंदन ओलिंपिक में हिस्सा लेने भेजा था तो कट्टरपंथी नेताओं ने उन्हें यौनकर्मी कह कर पुकारा था।