देश में तेजी से बढ़ती गंभीर बीमारियां और असामयिक मौत की वृद्धि ने चिंताजनक आंकड़े छू लिए हैं। आजकल की आधुनिक जीवनशैली, यांत्रिक संसाधनों पर बढ़ती निर्भरता और चटोरी जबान ने हमारे जीवन में बहुत बदलाव ला दिये है, हर कोई स्वाद के हिसाब से खाद्य पदार्थ खाना पसंद करते हैं, स्वास्थ्य के हिसाब से नहीं, जिसका सीधा असर हमारे सेहत पर दिखता है, अब तो किसी भी उम्र में कोई भी स्वास्थ्य समस्या किसे भी होती हैं। लोगों की बढ़ती मांग अनुसार, अब हर तरफ फास्ट-फूड, स्ट्रीटफूड, तेल मैदा मसाले मीठे नमकीन व्यंजन तेजी से समृद्ध हो रहे हैं, जबकि ये खाद्य पदार्थ निम्न गुणवत्ता, खराब कोलेस्ट्रॉल और मोटापा को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भारतीय त्योहार, समारोह और मंगल कार्यों में भी ऐसी ही व्यंजन की भरमार बढ़ रही हैं। वैसे ही खाद्य पदार्थों में हानिकारक रसायन का प्रयोग, मिलावटखोरी और अस्वच्छता बड़े पैमाने पर दिखती है, ऊपर से निम्न गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ में सिर्फ स्वाद देखा जाता है, जिसमें उच्च कैलोरी होती है। बहुत से लोग खाना खाते समय यह भी नहीं सोचते कि वे कितनी कैलोरी ले रहे हैं। पेट जब तक पूरी तरह भर ना जाए, तब तक खाते हैं, साथ ही हमारे यहां मेहमाननवाजी के नाम पर जो खिलाने-पिलाने की खातिरदारी होती है, वह भी इस समस्या को बढ़ावा देती है। जितनी कैलोरी लेते हैं, अगर उतनी खर्च नहीं हुई तो वह शरीर में जमा होकर अतिरिक्त कैलोरी मोटापे का रूप लेती है। पाचन में भारी, थकावट, भारीपन, आलस्य महसूस करवानेवाले खाद्यपदार्थों का सेवन ज्यादा किया जाता हैं, जिससे देशभर में पेट संबंधित रोगों की समस्या बहुत आम नजर आती है। मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है, जो अनेक जानलेवा बीमारियों की जननी हैं और कितने दुर्भाग्य की बात है कि, सब कुछ जानते हुए भी हम खुद ही अस्वास्थ्यकर खाद्यपदार्थों को ही प्राथमिकता देकर खाते हैं।
मोटापे के जोखिमों के बारे में जागरूकता और वैश्विक मोटापा संकट को समाप्त करने के लिए हर साल ४ मार्च को “विश्व मोटापा दिवस” दुनियाभर में मनाया जाता हैं। अधिक वजन और मोटापे के खतरे के लिए अस्वास्थ्यकर खानपान के साथ-साथ शारीरिक गतिविधि का अभाव, पर्याप्त नींद न लेना, अत्यधिक तनाव, स्वास्थ्य की स्थिति, आनुवंशिकी, दवाइयों का दुष्प्रभाव, आसपास का वातावरण भी उत्तरदायी होता है। शहरों में मोटापे की इस प्रवृत्ति के लिए चीनी-मीठे पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत भोजन जैसे उच्च कैलोरी-सघन खाद्य पदार्थों का सेवन एक प्रमुख योगदानकर्ता माना जाता है, और साथ ही, इनमें आवश्यक पोषक तत्वों और फाइबर की भारी कमी होती हैं। अधिक शराब पीना, बहुत अधिक बाहर भोजन करना सेहत के लिए हानिकारक है। लंबे समय तक धूम्रपान, अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता के कारण परिणामस्वरूप बीमारियों का विकास होता है, विशेष रूप से हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, मोटापा, मेटाबोलिक सिंड्रोम, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी। वर्तमान में भारतीय फास्ट-फूड बाजार 27.57 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। भारतीय जंक फूड की सूची में समोसा, कचौड़ी, ब्रेड पकौड़ा, पैकेज्ड भुजिया, इंस्टेंट नूडल्स, मोमोज, टिक्की, भटूरे जैसे खाद्य पदार्थ शीर्ष पर हैं। वैश्विक खाद्य बाजारों में भारत के निरंतर एकीकरण के बाद अस्वास्थ्यकर, प्रसंस्कृत भोजन अधिक सुलभ हो गया है। यह, बढ़ती मध्यम वर्ग की आय के साथ मिलकर, मध्यम वर्ग और उच्च आय वाले परिवारों में प्रति व्यक्ति औसत कैलोरी सेवन में वृद्धि कर रहा है। एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, “2022 तक देश के बड़े शहरों में फास्ट फूड रेस्तरां पर मध्यम वर्ग के परिवारों का वार्षिक खर्च 108 प्रतिशत बढ़ गया है”।
मोटापा एटलस 2023 ने मोटापा गैर-संचारी रोग के मामले में भारत को कुल 183 देशों में से 99 वें स्थान पर रखा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण 5 के आंकड़ों के अनुसार, 23प्रतिशत महिलाएं और 22.1प्रतिशत पुरुष बीएमआई मानदंड के अनुसार अधिक वजन वाले हैं, देश में 40 प्रतिशत महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरुष पेट के मोटापे से पीड़ित हैं। भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 अनुसार, 2006 से 2016 तक की अवधि में, 15 से 49 वर्ष की आयु की महिलाओं में मोटापा 13% से बढ़कर 21% हो गया और 15 से 49 वर्ष की आयु के पुरुषों में मोटापा 9.3प्रतिशत बढ़कर 19 प्रतिशत हो गया। प्रत्येक वर्ष अधिकांश भारतीयों की मृत्यु हृदय रोग के कारण होती है, और उनमें से लगभग 60 प्रतिशत मधुमेह है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक, भारत 130 मिलियन से अधिक मामलों के साथ मधुमेह में विश्व में शीर्ष स्थान प्राप्त कर लेगा।
डब्ल्यूएचओ अनुसार, दुनिया भर में मोटापा 1975 के बाद से लगभग तीन गुना हो गया है। 2016 में, 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 1.9 बिलियन से अधिक वयस्क अधिक वजन वाले थे। इनमें से 650 मिलियन से अधिक लोग मोटापे से ग्रस्त थे। दुनिया की अधिकांश आबादी उन देशों में रहती है जहां अधिक वजन और मोटापे के कारण कम वजन वाले लोगों की तुलना में अधिक लोगों की मौत होती है। 2020 में 5 वर्ष से कम उम्र के 39 मिलियन बच्चे अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त थे। 2016 में 5-19 वर्ष की आयु के 340 मिलियन से अधिक बच्चे और किशोर अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त थे। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होने वाले मोटापे और गैर-संचारी रोगों के कारण श्रम उत्पादकता में सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है और अस्वास्थ्यकर आहार पैटर्न से संबंधित अनुमानित नुकसान के मामले में भारत 154 देशों में तीसरे स्थान पर है, जो बेहद चिंताजनक हैं। भारत में उपभोग किए जाने वाले अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की कुल मात्रा में 2011 के बाद से 90 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
वयस्क बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई इंडेक्स अनुसार, यदि आपका बीएमआई 18.5 से 24.9 है, तो यह स्वस्थ वजन सीमा के अंतर्गत आता है। यदि आपका बीएमआई 25.0 से 29.9 है, तो यह अधिक वजन की सीमा में आता है। ऊंचाई अनुरूप वजन होना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट, आलू, चावल, मिठाई जैसे खाद्य पदार्थ वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसलिए, केवल वही खाद्य पदार्थ खाएं जो आपके शरीर में अतिरिक्त कैलोरी नहीं बढ़ाएंगे। कैलोरी का आदर्श स्तर दैनिक सेवन के अलावा उम्र, चयापचय और शारीरिक गतिविधि कार्य के स्तर पर निर्भर करता है। आम तौर पर, अनुशंसित दैनिक कैलोरी सेवन महिलाओं के लिए प्रति दिन 2,000 कैलोरी और पुरुषों के लिए 2,500 कैलोरी है।
शहरों में प्रदूषित हवा में सांस लेने की मजबूरी, पैक्ड फ़ूड की आदत, मिलावटखोरी, खाद्य पदार्थों में निकृष्ट गुणवत्ता व आवश्यक पोषक तत्वों की भारी कमी, फसलों में घातक रसायनों का प्रयोग, व्यायाम की कमी, यांत्रिक उपकरणों पर बढ़ती निर्भरता ने मानव जीवन को संघर्षमय और ख़राब सेहत दी है, जिससें जानलेवा खर्चीली बीमारियों ने असमय होने वाली मृत्यु में वृद्धि की है। मनुष्य ने खुद ही अपनेआप को उस दहलीज पर लाकर रख दिया है जहां पर स्वास्थ्य समस्याओं का अंबार लगा हैं, जिसमें मोटापा भी प्रमुख है। मोटापे को रोका जा सकता है, योग्य दिनचर्या के द्वारा हम अच्छी सेहत पा सकते है। नमक, शक्कर, मैदा जैसे पदार्थों को धीमा सफेद जहर कहा जाता है, इनके अत्यधिक सेवन से बचें। पैक्ड, डिब्बाबंद, फास्टफूड, जंकफूड, प्रसंस्कृत वसायुक्त मांस, स्नैक फूड, फ्रिज में जमे हुए पदार्थ, बाहरी तेल मसालेवाले खाद्यपदार्थ खाने से बचें। पोषक तत्वों से भरपूर मौसमी फल, अंकुरित अनाज, हरी सब्जियों, दालों का प्रयोग करें। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और कैलोरी का विशेष ध्यान रखें। चटोरी जबान पर नियंत्रण रखना सीखें, पेट को गोदाम समझकर कुछ भी पदार्थ न ठूंसे, अपनी इच्छा शक्ति मजबूत बनाये। शरीर को हर उम्र में सभी प्रकार के आवश्यक पोषक तत्वों की जरुरत होती हैं, इसका खास ध्यान रखें। शुद्ध ऑक्सीज़न, पूरक पौष्टिक आहार, पर्याप्त नींद, रोजाना व्यायाम, नशे से दुरी ये अच्छे सेहत का मार्ग है। इसकी मदद से हम न केवल मोटापे बल्कि जानलेवा बीमारियों से भी बचेंगे और एक खुशहाल, स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।