May 2, 2024

किसानों के लिए खुशखबरीः खेतों में अब ड्रोन से खाद और कीटनाशक दवाइयों का होगा छिड़काव

Chandigarh/Alive News: किसानों को खेतों में खाद और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने में अब ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। घंटों का यह काम काम ड्रोन के जरिये मिनटों में होगा। केंद्र सरकार से प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश सरकार भी ड्रोन प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने में पूरी दिलचस्पी दिखा रही है। बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार की ड्रोन प्रोजेक्ट पर सब्सिडी देने की भी योजना है।

फसलों में कीटनाशकों का स्प्रे करने और खाद का छिड़काव करने में किसानों को मजदूर न मिलने की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने इस समस्या का तोड़ ढूंढ़ लिया है। ड्रोन से स्प्रे के पायलट प्रोजेक्ट पर इफको काम कर रहा है। बाकायदा ड्रोन का संचालन करने के लिए 35 ग्रीन पायलटों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। ड्रोन से स्प्रे करने से किसान का समय बचेगा और मजदूरों की कमी की समस्या भी हल होगी।

इसके साथ ही स्प्रे भी एक स्तर पर होगा। जब मजदूर स्प्रे करते हैं तो नोजल के दौरान कीटनाशकों का छिड़काव एक स्तर पर नहीं हो पाता है। इससे फसल में खरपतवार बढ़ जाते हैं। ड्रोन की स्प्रे करने की क्षमता ज्यादा है। इससे आधा घंटे में पांच से सात एकड़ में आसानी से स्प्रे किया जा सकता है। सामान्य स्प्रे करने में 100 से 150 लीटर पानी की खपत होती है, जबकि ड्रोन से स्प्रे करने में मात्र 10 लीटर पानी लगेगा। इसके साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव या खेत में काम करने के दौरान सांप या अन्य विषैले जीव के काटने से होने वाले मौत के मामलों में भी कमी आएगी।

प्रदेश सरकार की योजना है कि ड्रोन को सामदुायिक सेवा केंद्र (सीएससी) स्तर पर उपलब्ध कराया जाए। यदि व्यक्तिगत तौर पर किसान इसे खरीदेगा तो उसे ज्यादा महंगा पड़ेगा क्योंकि एक ड्रोन करीब छह लाख रुपये में आता है। इसलिए सरकार इस पर सब्सिडी देने की योजना बना रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद भी करनाल के तरावड़ी में ड्रोन का ट्रायल कर चुके हैं। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र, रेवाड़ी व भिवानी में भी इसका ट्रायल हो चुका है। सहकारिता मंत्री बनवारी लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल भी ड्रोन ट्रायल का निरीक्षण कर चुके हैं।

इफको द्वारा तैयार नैनो यूरिया के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। इफको के चीफ मार्केटिंग मैनेजर शमशेर सिंह ने बताया कि मौजूदा सीजन में 12 लाख नैनो यूरिया की बोतलें बेची जा चुकी हैं। यानी कि 60 हजार टन यूरिया की जगह नैनो यूरिया का प्रयोग किया गया है। इसके साथ ही अब नैनो डीएपी के इस्तेमाल को लेकर ट्रायल किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक नैनो तरल यूरिया से न सिर्फ उत्पादन बढ़ता है बल्कि फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। नैनो तरल यूरिया दानेदार यूरिया से सस्ता भी है।