Faridabad/Alive News: लोहड़ी पंजाब व हरियाणा के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे बड़ी धुम धाम से मनाया जाता है इस दिन लोग सज धज कर ढोल की थाप पर भांगड़ा आदि करते हैं। महिलाएं इस दिन लोहड़ी की बोलिया गा कर धूम धाम से त्यौहार मनाती है। लोहड़ी की आग जला कर “ईश्वर आये दिल्लदर जाये, दिल्लदर दी जड़ चूल्हे पाए” का मंत्र बोल कर लोहड़ी की आग की 7 परिक्रमा करते है।
एक समय होता था जब सभी लोग एक साथ मिल कर लोहड़ी मनाते थे। रेवड़ी व मूंगफली बांटते थे, और साथ मिलकर लोहड़ी का मंत्र बोल कर लोहड़ी मनाते थे, लेकिन अब डिजिटल समय में लोगों ने अपने लोहड़ी मनाने के तरीके बदल दिए है। व्हाट्सप और फेसबुक के जमाने में सभी लोग एक दूसरे को मेसेज के जरिये शुभकामनाएँ तो दे देते है, लेकिन जो बात पहले के समय में थी अब वो बात नहीं रही है। लोहड़ी के दिन लोग तिल के लड्डू, मूंगफली, गजक, व रेवड़ी खाते है और सभी को बांटते है।
क्या कहना है महिला का
लोहड़ी के त्योहार में अब पहले जैसी रौनक नहीं रही, जो पहले नाच गाना होता था अब उसकी जगह मोबाइल फोन ने ले ली है। जो उत्साह पहले बच्चो में दिखाई देता था, वह भी अब नहीं रहा है। प्यार की लोगों में कमी है जो पहले एकता रहती थी वो आज के समय में नहीं रही है। हाँ थोड़ा बहुत तो अंतर होता ही है जैसे जैसे समय बदल रहा है, वैसे वैसे लोग भी बदलते जा रहे है। मॉडर्न बच्चे है पुरानी परम्पराओं को नहीं मानते, यह भी एक कारण है कि अब पहले जैसी लोहड़ी नहीं मना पाते है।
-संजू , निवासी शेरगढ़।
लोहड़ी में पहले जैसी रौनक नही रही, क्योंकि आजकल सयुंक्त परिवार नही रहे और बच्चे एकल परिवारों में रहकर पुरानी संस्कृति और त्योहार का महत्व भूल गए है। यह भी सबसे बड़ कारण है।
-गीता, निवासी मर्दापुर।