Chandigarh/Alive News: हरियाणा सरकार को अस्थाई मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के एक्सटेंशन की अवधि बढ़ाने पर जल्द फैसला लेना होगा। अगर सरकार स्कूलों की अवधि नहीं बढ़ाती तो 5 लाख बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। बच्चों का साल खराब हो सकता है। अस्थाई मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की एक्सटेंशन न बढ़ने के कारण बच्चे एवं अभिभावकों की चिंता बढ़ गई हैं। हरियाणा के विभिन्न जिलों में बहुत से ऐसे स्कूल हैं जो कम क्षेत्र में बने हुए हैं। ये स्कूल ऐसे इलाकों में हैं जहां स्कूल प्रबंधक चाहते हुए भी और जमीन नहीं ले सकते, क्योंकि आस-पास कोई जमीन मौजूद ही नहीं है।
आसपास रहने वाले अभिभावक अपने बच्चों को पिछले कई वर्षों से इन स्कूलों में भेजकर शिक्षा ग्रहण करवा रहे हैं। 2003 में सरकार ने स्कूलों के क्षेत्र के लिए नियम बनाए थे, जिसके मुताबिक जितनी कक्षाएं चलाई जाएं उससे डेढ़ गुना संख्या में कमरे होने चाहिए। मिडल स्कूल के लिए नियम अनुसार 8 कमरे होने चाहिए, जबकि इसके अतिरिक्त 6 और कमरे होने चाहिए। इसी तरह हाई स्कूल के लिए 10 क्लासरूम और 6 अतिरिक्त कमरे नियमानुसार होने चाहिए। जबकि सीनियर सेकेंडरी स्कूल के लिए 12 क्लासरूम कमरे एवं 6 अतिरिक्त कमरे होने चाहिए।
यह भी एक तथ्य है कि हरियाणा के कई सरकारी स्कूल भी इन नियमों को पूरा नहीं कर रहे। सूचना के अिधकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा के मिडल, हाई स्कूल व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में से 203 ऐसे स्कूल हैं जो इन नियमों को पूरा नहीं कर रहे। हरियाणा के करीब 5000 स्कूल बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं, जिनमें 2000 से अधिक स्कूल अस्थाई मान्यता प्राप्त हैं। हर वर्ष सरकार द्वारा उन्हें एक वर्ष की एक्सटेंशन प्रदान कर दी जाती थी, ताकि वे नियमों को पूरा कर सकें।
वहीं, दूसरी ओर फेडरेशन ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार छोटे स्कूलों को नियमों का हवाला देकर बंद करना चाहती है, जबकि सरकार के खुद के स्कूल आरटीई (शिक्षा का अिधकार) के नियमों की पालना नहीं करते। उन्होंने बताया कि आरटीआई के तहत मिली जानकारी अनुसार हरियाणा में बहुत से सरकारी स्कूल भी नियमों पर खरे नहीं उतरते। फिर सरकार इस प्रकार की कार्यवाही सिर्फ छोटे-छोटे प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ ही क्यों करना चाहती है, जो 20-20 सालों से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस भेदभावपूर्ण कार्य पर तुरंत रोक लगाकर ऐसे स्कूलों को राहत प्रदान करने की मांग की है।