Education/Alive News: नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने सभी राज्य चिकित्सा परामर्श समितियों को आदेश जारी कर बताया कि मेडिकल कॉलेजों से सीटों की जानकारी देने का अधिकार खत्म कर दिया है। एमबीबीएस या पीजी सीट को लेकर मेडिकल कॉलेज हेराफेरी नहीं कर सकेंगे। प्रवेश के समय कितनी सीटें रिक्त हैं या कितनी पर प्रवेश होना बाकी है? यह जानकारी संबंधित राज्य की चिकित्सा परामर्श समिति की ओर से आयोग को दी जाएगी।
एनएमसी के नीति एवं समन्वय के निदेशक पंकज नरेश अग्रवाल ने आदेश में कहा है कि मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी को अब प्रवेश के लिए उपलब्ध मेडिकल सीटों की संख्या से संबंधित जानकारी देने का अधिकार नहीं होगा। यह व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2024-25 से लागू होगी जिसके लिए प्रत्येक राज्य परामर्श समिति की ओर से एक नोडल नामित किया जाएगा जो सभी मेडिकल कॉलेजों की सीटों के बारे में जानकारी देगा। सिस्टम में फीड किए गए डेटा की शुद्धता के लिए यह नोडल अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
सीटों में छेड़छाड़ की रहती है आशंका
आयोग के सूत्रों का कहना है कि पारदर्शिता के लिहाज से मेडिकल कॉलेजों में मौजूद प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव करना बहुत जरूरी है। अक्सर सुनने को मिलता है कि मेडिकल कॉलेज खासतौर पर प्राइवेट कॉलेज प्रवेश के समय जिस मैट्रिक्स के जरिये सीटों की जानकारी भेजते हैं उसमें छेड़छाड़ होने की आशंका अधिक रहती है। इसलिए डाटा की फीडिंग प्रत्येक राज्य काउंसलिंग द्वारा की जाएगी।
काउंसलिंग के तरीकों में बदलाव
मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी सीटों पर प्रवेश के लिए काउंसलिंग के तौर तरीकों को एनएमसी अधिनियम 2019 की धारा 14 और 15 के तहत आयोग विनियमित करने का अधिकार रखता है। मौजूदा समय में, जब भी चिकित्सा सीटों पर प्रवेश शुरू होते हैं तो सीटों के बारे में पूरी जानकारी मेडिकल कॉलेज या यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई जाती है।