December 24, 2024

बोर्ड परीक्षा रद्द होने से कॉलेजों में प्रवेश के लिए बढ़ सकता है कंपीटीशन!

Faridabad/Alive News : कोरोना महामारी के चलते कुछ दिनों से 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं टालने की मांग चल रही थी। जिसको लेकर विद्यार्थियों तनाव में थे। जिसको देखते हुए बीते मंगलवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय बैठक में 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने का फैसला लिया गया। वहीं दूसरी तरफ बोर्ड परीक्षा की तैयारी पूरी कर चुके परीक्षार्थियों के बीच निराशा देखने को मिली।

दरअसल, कोरोना आपदा की दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के बीच पहले ही केंद्र सरकार और केंद्रीय शिक्षा माध्यमिक बोर्ड ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया था और अब लंबे इंतजार के बाद सरकार ने 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को भी रद्द कर दिया है। कोरोना महामारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूल शिक्षकों और अभिभावकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।

लेकिन 12वीं कक्षा के बच्चों का मूल्यांकन किस आधार पर होगा इसको लेकर अभी तक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की तरफ से कोई गाइडलाइन जारी नही की गई है और विद्यार्थियों के बीच 12वीं के परीक्षा परिणाम को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मिली जानकारी के अनुसार अगर कुछ छात्र पिछले साल की तरह ही परीक्षा के परिणाम से संतुष्ट नहीं होते तो स्थिति ठीक होने के बाद सीबीएसई द्वारा उन छात्रों को एग्जाम देने का विकल्प दिया जाएगा।

क्या कहना है परीक्षार्थियों का
सरकार के इस फैसले पर गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल के परीक्षार्थियों का कहना है कि 12वीं कक्षा के बोर्ड परिणाम आगे कॉलेज में प्रवेश के लिए बहुत जरूरी होते है।12वीं की बोर्ड परीक्षा देने से आगे प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने में आसानी होती है और परीक्षा रद्द होने से सभी एक ही कतार में खड़े होंगे। जिसके कारण आगे कि पढ़ाई के लिए कॉलेजों में कंपीटीशन बढ़ जाएगा और कॉलेज में बच्चों को प्रवेश के लिए अधिक जद्दोजहद करनी पड़ेगी।

12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द होने को लेकर गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल डॉक्टर परेश गुप्ता का कहना है कि स्कूल के शिक्षक और छात्र ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के लिए पूरी मेहनत से तैयारी की थी। लेकिन ऐसे में सरकार के इस फैसले ने बच्चों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए सरकार का यह फैसला बिल्कुल ठीक है।