February 1, 2025

डॉक्टरों की हड़ताल: ओपीडी सेवाएं ठप, इमरजेंसी में भी इलाज नहीं, महिला ने ऑटो में तोड़ा दम

New Delhi/Alive News: नीट पीजी काउंसलिंग में देरी होने के चलते डॉक्टरों का गुस्सा अब आम मरीजों के लिए काफी नुकसानदायक हो चुका है। सोमवार को हड़ताल के चलते कहीं ओपीडी तो कहीं इमरजेंसी में मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया। दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में मरीजों को उपचार के लिए धक्के खाने पड़े।

एम्स को छोड़ केंद्र के दूसरे अस्पतालों की बात करें तो यहां सबसे बुरे हालात नजर आए हैं। सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के अलावा रेलवे अस्पताल में ओपीडी और आपातकालीन वार्ड में स्वास्थ्य सेवाएं काफी बाधित हुई हैं। जानकारी के मुताबिक डॉक्टरों की हड़ताल के चलते करीब एक हजार से अधिक ऑपरेशन टालने पड़ गए। वहीं पांच से अधिक मरीजों की अलग अलग अस्पतालों की इमरजेंसी मौतें दर्ज की गई हैं।

इनमें से एक महिला मरीज की मौत सफदरजंग अस्पताल में हुई जिनके तिमारदारों का आरोप है कि डॉक्टरों ने मरीज का कई घंटे तक इलाज नहीं किया जिसके चलते मरीज की मौत हो गई। हालांकि दिल्ली सरकार के अस्पतालों पर हड़ताल को थोड़ा बहुत असर देखने को मिला है। लोकनायक और जीटीबी अस्पताल में ओपीडी में केवल वरिष्ठ डॉक्टर ही तैनात थे। यहां इमरजेंसी सेवाएं बाधित नहीं हुईं।

बहरहाल, डॉक्टरों की यह हड़ताल मंगलवार को भी जारी रह सकती है जिसके चलते मरीजों को और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ओपीडी के अलावा इमरजेंसी सेवाओं से भी पीछे हटने की चेतावनी मिलने के बाद सोमवार सुबह आरएमएल अस्पताल में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार पहुंचे। यहां उन्होंने देखा कि आपातकालीन वार्ड में भी मरीजों को इलाज लेने में दिक्कतें हो रही हैं।

इसके चलते उन्होंने डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की लेकिन रेजीडेंट डॉक्टरों ने मांग पूरी होने के बाद ही विरोध वापस लेने का फैसला लिया। अकेले सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग के कलावती सरन और सुचेता कृपलानी अस्पताल के साथ साथ रेलवे में कार्यरत करीब चार हजार रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर थे। जबकि दिल्ली सरकार और निगम के अस्पतालों में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टरों की संख्या इनसे अलग हैं। 
 
मरीजों को हुई परेशानी
हड़ताल का सबसे अधिक असर सफदरजंग अस्पताल में दिखाई दिया। यहां इमरजेंसी के बाहर एम्बुलेंस कतार में खड़ी रहीं। कुछ मरीजों को अंदर भेजा गया लेकिन थोड़ी देर बाद उनमें से कई मरीजों को बाहर निकाल दिया। यहां इमरजेंसी में वरिष्ठ डॉक्टर तैनात थे लेकिन रेजीडेंट डॉक्टरों के न होने की वजह से मरीजों को संभालना काफी मुश्किल हो रहा था।

मिली जानकारी के अनुसार रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि वह किसी को भी परेशान करना नहीं चाहते हैं लेकिन लोगों को यह समझना चाहिए कि हमारे साथ भी गलत हो रहा है। सरकार हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। हम अपने परिवार को छोड़ यहां पढ़ाई कर रहे हैं और मरीजों का इलाज भी लेकिन सरकार की खामियों की वजह से हमें नुकसान हो रहा है। बार बार पत्र लिखने और अपील करने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई।

हड़ताल के कारण सुल्तानपुरी निवासी उत्तम कुमार की पत्नी मीरा देवी की मौत हो गई। उत्तम कुमार का आरोप है कि वह 24 घंटे से भी अधिक समय से अपनी पत्नी को उपचार दिलाने के लिए डॉक्टरों से गुहार लगा रहे थे लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की और आखिर में अपनी आंखों के सामने उन्होंने पत्नी को दम तोड़ते देखा।

उनकी पत्नी को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी जिसके चलते वह यहां लेकर आए थे। रविवार शाम से सोमवार शाम तक जब मरीज को इलाज नहीं मिला तो वह उन्हें लेकर दूसरी जगह जाने लगे लेकिन सफदरजंग अस्पताल से कुछ दूर चलते हुए ऑटो में ही मीरा देवी ने सांसें तोड़ दीं और उनकी मौत हो गई।