Faridabad/Alive News : डीसी विक्रम सिंह ने “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, बस एक यही निशा बाकी रहेगा” को सार्थक रूप देते हुए आज बुधवार को कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर आयोजित शहीद स्मारक सेक्टर-12 स्थित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। विजय दिवस श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता डीसीपी सेंट्रल पूजा वशिष्ठ ने की।
कारगिल विजय दिवस श्रद्धाजंलि समारोह में बड़ी संख्या में भूतपूर्व सैनिकों ने शिरकत की। इस मौके पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों को फूल अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई तथा उनके शौर्य वीरता व अदम्य साहस को सराह कर सत सत नमन किया गया।
डीसी विक्रम सिंह ने शहीद स्मारक में प्रर्दशनी हॉल को भी देखा जिसमें हरियाणा के वीर शहीद सैनिकों की गाथा तथा अब तक हुए यादों के इतिहास को बताया गया है। जहां डीसी विक्रम सिंह और डीसीपी सेंट्रल पूजा वशिष्ठ ने वीरांगनाओं को सम्मानित भी किया।
डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं ये सब इन शहीद सैनिकों की वजह से ले रहे है। जो दुश्मन के मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देते बेशक बलिदान ही क्यों ना देना पड़े।
उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों पर भारतीय सैनिकों की जीत के उपलक्ष्य में आज 26 जुलाई पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि युद्ध कभी अच्छा नहीं होता। इससे दोनों तरफ बड़ा नुकसान होता है, हजारों सैनिक शहीद हो जाते हैं। भारत एक शांतिप्रिय देश है जो युद्ध में विश्वास नहीं करता है। भारतीय सेना हमेशा विदेशी ताकतों से देश की रक्षा करती है, मातृभूमि के लिए बलिदान देती है और हमें गौरवान्वित करती है।
कारगिल विजय दिवस समारोह के अंत में वीर नारियों/वीरांगनाओं को पुरस्कृत किया गया तथा जय जवान-जय भारत के नारे लगा कर, दो मिनट का मौन धारण करने और राष्ट्रीय गान के साथ समारोह का समापन किया गया।
कारगिल विजय दिवस विशेष ‘जरा याद कर लो कारगिल शहीदों की कुर्बानी’
कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के बलिदान को याद किया गया। जहां हर साल इस खास दिन पर वीरों को याद किया जाता है। भारत के वीर सैनिकों ने आज के दिन ही पाकिस्तान के घुसपैठियों को धूल चटा दी थी। उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रमाण था। कि भारत की ओर कोई अब आंख उठाकर नहीं देख सकता। 24 साल बाद भी जांबाजों सैनिकों की साहसिक कहानियां सुनी और सुनाई जाती हैं। उसी जीत की याद में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कारगिल युद्ध के कई हीरो रहे मौजूद
इन्हीं में से एक हैं परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव, जिन्होंने एक दो नहीं,15 गोलियां खाई। लेकिन दुश्मन से लड़ते रहे और टाइगर हिल को फतह कर लिया। उन्हें हीरो ऑफ टाइगर हिल कहा जाता है।
ये है जिला फरीदाबाद के कारगिल युद्ध के असली हीरो
जिला फरीदाबाद के कारगिल युद्ध के असली हीरो शहीद 2683225 ले. नायक जाकिर हुसैन ग्रेनेडियर गाँव सोफ्ता और न. 319779 सिपाई वीरेन्द्र कुमार जाट रेजिमेंट, गाँव मोहना के स्थाई निवासी थे। जिनके नाम युद्ध स्मारक सेक्टर 12 के शहीद स्तम्भ पर अंकित है। जिसकी देखभाल समय-2 पर जिला सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण विभाग द्वारा की जाती है। मौजूदा समय में युद्ध स्मारक की मरम्मत का कार्य क्रियान्वित किया जा रहा है । इस सम्बन्ध में सभी नियमानुसार कोई भी आश्वासन अधूरा नहीं है।
सरकारी या निजी स्तर पर कैसा रखरखाव, कहीं बदहाली की स्थिति तो नहीं
शहीद 2883225 ले. नायक जाकिर हुसैन का स्मृति स्थल उनके गांव सोफता तथा न. 319779 सिपाई वीरेन्द्र कुमार जाट रेजिमेंट गांव मोहना तहसील बल्लभगढ़ जिला फरीदाबाद में स्थित है। जिसका रखरखाव गाँव की पंचायत द्वारा किया जाता है।
परिवार आज भी करता है ऐसे याद
-कारगिल युद्ध और शहादत के दिनों को परिवार-पड़ोस के लोगों के साथ इलाके के लोग बहुत गर्व और फक्र महसूस करते हैं।
-जो सैनिक कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे, तो शहीदों के शव आए तो कैसा था माहौल
-क्या दिखाई थी शहीद ने बहादुरी फोटोग्राफ्स वर्तमान के साथ अपनी फाइल लगा लें तो और भी बेहतर होगा।
-जिला फरीदाबाद में 02 कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे, जिनका शव पूरे राजकीय सम्मान के साथ आए थे। जिनको पूरे राजकीय सम्मान के अन्तिम विदाई/ श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी। फरीदाबाद जिला का सारा हुजूम उमड़ पड़ा था।
शहीद और शहीदों के परिजनों की कोई मानवीय या जिजीविषा से जुड़ी गाथाएं
भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध मई- 1999 से जुलाई- 1999 तक चला था। जिसको ‘ऑपरेशन विजय’ के जरिए भारत के जांबाज सैनिकों ने कारगिल द्रास सेक्टर/ क्षेत्र में पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों को फिर से वापस प्राप्त कर लिया था। जिसका जिला फरीदाबाद को ही नहीं बल्कि पूरे देश को नाज है और सभी फक्र महसूस करते हैं। शहीद का भाई को हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी नौकरी प्रदान की गई थी।
आपको बता दें कारगिल युद्ध को 24 साल हो चुके हैं। आज ही के दिन भारत को इस युद्ध में विजय मिली थी। जिस इलाके में ये युद्ध लड़ा गया। वहां सर्दियों में -50 तक तापमान चला जाता है।सेनाओं द्वारा सर्दियों के मौसम में इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। जहां इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की।
03 मई 1999 की ये वो तारीख ,है जब हिंदुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल वहां पर कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ कारगिल युद्ध के लिए तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। उन 84 दिन बाद 26 जुलाई 1999 को भारत को जीत मिली थी।
विजय दिवस श्रद्धांजलि समारोह में एसीपी सेंट्रल राजीव, कर्नल देवेंद्र चौधरी, सतीन्द्र दुग्गल, विशिष्ट मेडल सेवा मेजर जनरल सुधीर दत्त, ब्रिगेडियर चन्द्र मुकेश, स्थानीय एयर फोर्स ग्रुप कैंप इंचार्ज कपिल शर्मा, वीरांगना सुनीता नागर, गीता कालीरामण, डब्ल्यू सी हरिचंद मान, सूबेदार फिरेचंद, जिला सैनिक बोर्ड के सेक्रेटरी कैप्टन रजनीश छाबडी, हवलदार धर्म सिंह डागर, सीपीओ उदय सिंह, हवलदार करतार सिंह, नरेश तेवतिया, अमृता अस्पताल के आयुष विभाग के स्वामी अमावत ताल, अनूप च्वहान और एनजीओ सहित समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व विद्यार्थी उपस्थित रहे।