Faridabad/Alive News : जीवन में परिवार का काफी महत्व होता है। एक परिवार ही तो है जो हमेशा हमारे दुख-सुख में हमारे साथ खड़ा रहता है। कोरोना वायरस महामारी ने अचानक लोगों के जीवन की दिनचर्या को रोक दिया है और लॉकडाउन ने परिवारों को घर पर रहने के लिए मजबूर किया है। इस महामारी ने परिवार के लोगों को एक-दूसरे की अहमियत से परिचित कराया है।
गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने एनएच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और गाइड्स ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में विश्व परिवार दिवस पर वर्चुअल कार्यक्रम में परिवार का महत्व बताते हुए परिवार के एल्बम और फोटो फ्रेम बनाएं। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि कोरोना में एक-दूसरे को खोने के डर ने छोटे से लेकर बड़े परिवारों तक को एक कर दिया है। परिवार हमें सुरक्षित महसूस कराता है, यह हमें जीवन में किसी के होने का एहसास दिलाता है। यह दिन एक दूसरे के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का भी एहसास दिलाता है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस या विश्व परिवार दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कोरोना महामारी के समय में परिवार के साथ मिलकर इन कठिन परिस्थितियों से लड़ना है और सबके साथ मिलकर आगे भी बढ़ना है।
हमारे जीवन में परिवार का काफी महत्व होता है और इसी को बताने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 दिसंबर 1989 के 44/82 के प्रस्ताव में परिवारों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष की घोषणा की। एंबुलेंस ब्रिगेड और जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा हर वर्ष विश्व परिवार दिवस को 15 मई को मनाने का फैसला किया गया। हर वर्ष विश्व परिवार दिवस के दिन के लिए एक थीम रखी जाती है। जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि इस दिवस का महत्व ये है कि सभी परिवार एकजुट होकर रहें, आपसी मतभेद न हो, सबको परिवार की अहमियत का पता चले आदि।
परिवार ही हमें हमेशा भावनात्मक तौर पर सहारा देता है। साथ ही परिवार ही हमें अकेलेपन से भी बचाता है। जिन लोगों के पास परिवार नहीं होते वे लोग ही इसकी अहमियत समझ पाते हैं। घर से दूर रहने वाले लोगों के लिए कोरोना काल में परिवार की अहमियत बढ़ गई है। परिवार से आशय केवल पति, पत्नी और बच्चों से नहीं, बल्कि उस परिवार से है, जिसमें मां, बाबू जी , दादा, दादी, चाचा, चाची, भइया,भाभी इत्यादि हैं। नाना से जुड़ाव है और नानी की कहानी भी है। यही कारण है कि भारत में हर करीब-करीब हर रिश्ते के नाम पर गांव और कस्बें मिल जाएंगे। दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते माँ के नाम पर देश में कोई गांव या क़स्बा नहीं है। बहन के नाम, पिता, मामा और एक गांव मामी के नाम पर भी है। आज विद्यालय की गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर और प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने विश्व परिवार दिवस पर सुंदर और आकर्षक एल्बम और फोटो फ्रेम बनाने वाली सभी छात्राओं निशा, भूमिका, हर्षिता, नेहा, स्मृति, स्नेहा, नेहा, आकृति, शालू, प्रीति, अंजू, खुशी और अंकिता का स्वागत किया।