May 19, 2024

इन निजी अस्पतालों पर मुकदमा दर्ज, जांच में जुटी पुलिस

Palwal/Alive News: गुरुनानक अस्पताल के संचालक द्वारा कोरोना संक्रमीत मरीज का उचित उपचार न करने, अभ्रद व्यवहार करने, एंबुलेस और उपचार की एवज में अधिक रुपये ऐंठने का मामला प्रकाश में आया है। इसके साथ ही पीड़ित ने अन्य दो-तीन प्राईवेट अस्पतालों पर भी मरीज को दाखिल न करने का आरोप लगाया है। कैंप थाना पुलिस ने पीड़ित की शिकायत दो नामजद डाक्टर व एक कर्मचारी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पुलिस जांच अधिकारी संजय कुमार के अनुसार सिविल लाइन कालोनी निवासी अधिवक्ता रवि रावत ने शिकायत दर्ज कराई है कि गत एक मई उसकी माता उर्मीला देवी को सांस लेने में दिक्कत हुई। पीड़ित अपनी मां को उपचार के लिए लेकर गुरुनानक अस्पताल ले गया। अस्पताल के स्टाफ ने कहा कि अस्पताल मालिक से बात करने के बाद ही इलाज शुरू होगा। पीड़ित के अनुसार उन्होंने कहा कि मेडीक्लेम नहीं चलेगा और प्रतिदिन के 60 हजार रुपये कराने होंगे और रुपयों के लिए गारंटर लाना होगा।

रुपये जमा कराने के बाद किसी प्रकार का कोई बिल या रसीद नहीं मिलेगी। यदि इस बात पर राजी हो तो फार्म हमें साईन करके दे दो उसके बाद ही हम ईलाज शुरु करेंगें। पीड़ित ने अपनी मां को बेड पर लिटाने के लिए कहा तो हॉस्पिटल के स्टाफ के एक व्यक्ति ने कहा कि पहले बेसमेंट से फाईल बनवाकर लाना पड़ेगा। पीड़ित बेसमेंट में फाईल बनवाने के लिए गया तो वहां बैठे हुए व्यक्ति ने कहा 30 हजार रुपये एडवांस और दस रुपये दवाईयों के लिए जमा कराना पड़ेगा।

पीड़ित ने कहा कि दवाईयां तो वह बाहर से ले आएगा। इसपर स्टाफ के उस व्यक्ति ने कहा कि दवाईयां भी हमारे यहां से ही लेनी पड़ेगी और कहा कि और 30 हजार रुपये एक घंटे के बाद जमा करा देना। पीड़ित को किसी भी तरह की कोई भी रसीद नहीं दी। आपातकालीन कक्ष में बैठे हुए व्यक्ति ने बहुत ही बदतमीजी से बात की और कहा कि ईलाज हमारी शर्तों पर ही होगा, नहीं तो अपने मरीज को यहां से कहीं और लेकर जाने को कहा।

पीड़ित ने अपनी माता की हालत को देखते हुए 40 हजार रुपये जमा करा दिए कई कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए गए। काफी देर बाद जब उपचार शुरू नहीं किया गया तो पीड़ित ने पूछा की डाक्टर कब तक आएगा तो वहां पर दो व्यक्ति मिले। जिसमें से एक की उम्र लगभग 65-70 वर्ष और दूसरे की उम्र लगभग 35-40 वर्ष की होगी। 35-40 वर्ष वाले व्यक्ति ने पूछा कि कितने पैसे जमा कराए हैं तो पीड़ित ने बताया कि 40 रुपये तो उसने कहा कि बाकी 30 रुपये भी जमा कराए तो ईलाज शुरू कर देंगे।

जिसने अपना नाम डाक्टर तेजेन्द्र बताया था। पीड़ित ने उन दोनों के सामने ही अपने घर पर फोन करके बाकी रुपये लाने के लिए कह दिया था। उसी दौरान दूसरा व्यक्ति बोला कि जब तक बाकी रुपये जमा नहीं करोगे तब तक ईलाज शुरू नहीं होगा। पीड़ित ने बाहर खड़े गार्ड से उन दोनों के बारे में पूछा तो गार्ड ने बताया कि 65-70 वर्ष वाला डाक्टर अनूप है। दूसरा वाला उसका लडका डाक्टर तेजेंद्र्र है और ये दोनों ही इस अस्पताल के मालिक है।

पीड़ित का आरोप है कि सचिन अस्पताल, एपेक्स अस्पताल व गलैक्सी अस्पताल में बात की गई तो उन्होंने पहले 70-75 हजार प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज करने की बात कही और जब उन्हें पीड़ित के बारे में पता चला कि वह वकील है तो उन्होंने भी दाखिल करने से मना कर दिया। पीड़ित ने उसी दौरान किसी एंबुलेस का इंतजाम करने की बात कही तो कम्पाउंडर ने कहा कि एंबुलेस तो हमारे मालिक के पास भी है, बाहर खड़ी है आप जाकर बात कर सकते हो।

क्या कहना है अस्पताल प्रबंधन का
अस्पताल ने एम्बुलेंस खरीदकर जरूर दी है लेकिन एम्बुलेंस के रेट चालक तय करता है इसमें अस्पताल को कोई रोल नहीं। अधिवक्ता रवि रावत ने जो आरोप मुझ पर और डॉ तेजेन्द्र पर लगाए हैं, वह झूठे हैं। क्योंकि मैं पिछले कोरोना के समय से अस्पताल में नीचे नही जा रहा हूं और जिस दिन की घटना बताई जा रही है उस दिन डॉ तेजेन्द्र कोरोना संक्रमित अपने बेटे के पास थे। अधिवक्ता रवि रावत और उनके यहां एक डॉक्टर के पारिवारिक रिश्ते हैं। पता नही रवि रावत ऐसा क्यों कर रहा है।
डॉ अनूप, प्रबंधक-गुरु नानक अस्पताल पलवल।