Faridabad/Alive News: गाय, गंगा और गायत्री भाजपा सरकार के लिए हमेशा से राजनीति का मुद्दा बने रहे है। मगर, गाय के संरक्षण और भरण-पोषण के नाम पर अनुदान देने में सरकार उहापोह की स्थिति में रहती है। जो अनुदान सरकार द्वारा गौवंश के लिए गौशालाओं को दिया जा रहा है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। ऐसे में गौवंश का भरन-पोषण और संरक्षण करने में गौशालाओं को कठिनाई हो रही है।
दरअसल, चार एकड़ में फैली मवई गौशाला में गाय और नंदियो की कुल संख्या लगभग 1650 है। इसमें 400 नंदी, 367 गाय के बच्चे और बाकी गाय है। वहीं, मवई गौशाला को सरकार से हर माह 10 लाख रूपये का अनुदान मिलता है। जबकि गौशाला के रखरखाव पर एक माह में लगभग 25 लाख रूपये खर्च होता है। गौशाला प्रबंधको के हर माह दान से बाकी 15 लाख की राशि जुटाने में पसीने छुट जाते है।
सर्जरी की नही है व्यवस्था
जिले में कुल तीन गौशालाए मौजूद है। लेकिन किसी भी गौशाला में गाय की सर्जरी की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मवई गौशाला में गायों के बीमार पड़ने पर उनके उपचार के लिए दो चिकित्सक रखे गए है और इस गौशाला में आए दिन बाहर के गायों के एक दो एक्सीडेंटल मामले आते रहते है। जिनका उपचार कर उन्हें बाहर भेज दिया जाता है।
क्या कहना है प्रधान का
नगर निगम ने कुछ सालों पहले ही मवई गौशाला को अपने अंडर लिया है और सहायता राशि के रूप में हर माह गौशाला को 10 लाख रूपये दिये जा रहे है। सरकार से मिलने वाली राशि से गौशाला के रख रखाव में थोड़ी मदद मिल जाती है।
-डॉ गगोई, सचिव- मवई गौशाला।
सरकार से गौशाला के लिए मिलने वाला अनुदान वैसे तो बहुत कम है। लेकिन गौशाला का खर्च हम बाहर से लोगों द्वारा गौशाला में दान दी गई राशि से पूरा करते है। सरकार को गायों की सर्जरी की भी व्यवस्था करनी चाहिए।
-वीरेंद्र मखीजा, प्रधान-मवई गौशाला।