New Delhi/Alive News : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव को बड़ी राहत देते हुए कहा है कि उन्होंने सरकार के कोरोना टीकाकरण अभियान को प्रोत्साहित किया था. उन्होंने किसी को भी टीके के लिए अस्पताल (Hospital) जाने से नहीं रोका. हाईकोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भले ही उन्होंने कोराना के इलाज के लिए अपनी कोरोनिल का प्रचार किया हो. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट बाबा रामदेव के खिलाफ एलोपैथी को लेकर कथित रूप से दिए आपत्तिजनक बयान के मामले में सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर तय की है.
जस्टिस सी. हरि शंकर ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा,’कोर्ट वर्तमान में इस मुद्दे पर नहीं जा रही कि प्रचार संबंधी नियम का उल्लंघन हुआ है या नहीं. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील अखिल सिब्बल ने कहा कि बाबा रामदेव ने ऐलोपैथी पर आपत्तिजनक बयान दिया है. कोर्ट ने कहा कि उनका दिया गया बयान आपत्तिजनक है या नहीं, इस पर विचार किया जाना है, लेकिन उन्होंने लोगों से कोरोनील दवा लेने को कहा है. साथ ही कहा था कि इससे ऑक्सीजन लेवल सही हो जाएगा. बाबा रामदेव ने किसी के अधिकार का हनन नहीं किया है. आप उनके विचार से सहमत हैं तो अनुसरण करें अथवा छोड़ दें.
इससे पहले कोर्ट ने बाबा रामदेव को ऐलोपैथी के खिलाफ और कोरोनील के पक्ष में किसी तरह का बयान देने से मना कर दिया था. याचिकाकर्ता रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने याचिका दाखिल कर कहा है कि बाबा रामदेव ऐलापैथी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं. साथ ही अपने कोरोनिल का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. उन्हें ऐसा करने से रोका जाए. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि दवा का लाइसेंस नहीं है, फिर भी वे अपने कोरोनिल दवा का प्रचार कर रहे हैं.
रामदेव पर लगाए गए हैं ये आरोप
डॉक्टरों के संगठनों ने रामदेव पर आरोप लगाया है कि वे बड़े पैमाने पर जनता को गुमराह कर रहे थे और गलत तरीके से यह पेश कर रहे थे कि कोविड-19 से संक्रमित हुए कई लोगों की मौत के लिए एलोपैथी जिम्मेदार थी. साथ ही एलोपैथिक डॉक्टर मरीजों की मौत का कारण बन रहे थे. अपनी याचिका में डॉक्टरों के संगठनों ने बताया है कि रामदेव न सिर्फ एलोपैथिक के इलाज पर बल्कि कोविड वैक्सिनों की सुरक्षा और उसके प्रभाव को लेकर भी जनता के मन में संदेह फैला रहे थे.