October 28, 2024

ठंड न बढ़ने से किसानों की बढ़ी चिंता, फसल हो रही प्रभावित

Faridabad/Alive News : दिसंबर महीने के 10 दिन बीतने के बाद भी ठंड न बढ़ने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिखने लगी हैं। भूपानी और फतेहपुर बिल्लौच के किसानों ने बताया कि कम तापमान रबी की फसलों के लिए काफी फायदेमंद रहता है, लेकिन अब की बार स्थिति पहले की बजाय बिल्कुल विपरीत है। मौसम में ठंड कम होने व धुंध न पड़ने की वजह से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। सरसों और गेहूं की फसल को इस समय ज्यादा ठंड की जरूरत होती है। तापमान में गिरावट की बजाय शनिवार को यह 0.5 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 8 पर आ गया। अधिकतम तापमान भी लगातार 27 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है।

दरअसल, दिन के समय मौसम का मिजाज गर्म रहता है। रात के समय भी दिसंबर में पड़ने वाली ठंड अपना रंग नहीं दिखा पा रही है। पिछले दिसंबर के मुकाबले इस बार ठंड अपने पूरे यौवन पर नहीं आ पाई है। मौसम विभाग के अनुसार अगले एक सप्ताह तक मौसम में ज्यादा बदलाव आने की संभावना नहीं है। अभी तक कोहरा भी गिरना शुरू नहीं हुआ है। यह किसानों के लिए चिंता का विषय है।

दोपहर में हो रही गर्मी
दिन का तापमान अभी भी ज्यादा चल रहा है। दिन के तापमान में कमी आने के बाद ही असली ठंड का अहसास हो सकेगा। दिसंबर माह के दूसरे पखवाड़े में अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है, जिससे कड़ाके की ठंड का अहसास होता है। अभी तक यह 25 डिग्री से नीचे तक भी नहीं आया है, जिस कारण दोपहर के समय गर्मी का अहसास होने लगता है।

क्या कहना है किसानों का
गेहूं और सरसों की फसल किसानों के लिए काफी मायने रखती है। इस फसल से प्राप्त पैसों से उनका घर-परिवार चलता है। पूरे परिवार की आमदनी गेहूं- सरसों की फसल पर निर्भर करती है। ऐसे में अगर फसल खराब हो जाए तो किसानों की तो कमर टूट जाती है।

  • रामपाल किसान, भूपानी।

अगर, सर्द मौसम में बारिश हो जाए तो किसान की फसलों की उत्पादन क्षमता में काफी बढ़ोतरी हो जाती है, लेकिन अब की बार ठंड न पड़ने से फसलों को पानी नही मिल पा रहा, जिसके कारण उनकी उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है और इसका प्रतिकुल प्रभाव न केवल फसलों पर पड़ेगा, अपितु किसान के जीवन को भी पूरी तरह से प्रभावित करेगा।

  • रोहित किसान, फतेहपुर बिल्लौच।