December 25, 2024

एक तिरपाल के नीचे बरसात सर्द हवा में भूखे पेट बुजुर्ग, बच्चें और महिलाओं ने गुजार रहे रात-दिन

Faridabad/Alive News: बरसात और सर्द हवा में घर से बेघर हुए जमाई कॉलोनी के बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं ने भूखे पेट रात-दिन कैसे गुजारे, इसका अंदाजा न सरकार को है और ना ही उजाड़ने वाले सरकारी अधिकारियों को है।

ऊपर से मुसीबत बनकर बरस रही बरसात ने बेघर लोगों का तिरपाल में रहना मुश्किल कर दिया है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में खुले आसमान के नीचे लोगों के जीवन पर बन आई है और छोटे बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं। बीमार बुजुर्ग दवा के लिए तरस रहे है। घर तबाह होने के कारण घर में रखा राशन भी खराब हो गया है।

उक्त आप बीती है फरीदाबाद के बड़खल गांव स्थित जमाई कॉलोनी के लोगों की। नगर निगम प्रशासन ने इनके अवैध रूप से बने मकानों को तोड़कर बेघर कर दिया। आज इन लोगों के कनस्तर से भी आटा खत्म हो चुका है। पिछले 3 दिन से बुजुर्ग, बच्चे और महिला भूखे हैं। शनिवार को कुछ समाजसेवियों ने एक दिन का भोजन देकर इनकी भूख कम की है। घर तबाह होने के बाद लोग मलवे पर ही तंबू लगाकर अपने बच्चों को और अपने आप को सुरक्षित करने की जद्दोजहद में लगे हैं।

दरअसल, खोरी के बाद जमाई कॉलोनी में नगर निगम द्वारा की जाने वाली तोड़फोड़ की कार्यवाही अब तक की दूसरी बड़ी कार्यवाही है। निगम द्वारा जमाई कॉलोनी में अब तक करीब 450 से अधिक मकानों को ध्वस्त किया जा चुका है और अन्य बचे हुए घरों को भी जल्द ही ध्वस्त किया जाएगा। ऐसी विकट परिस्थितियों में भी लोग अपने उजड़े हुए आशियाने और बिखरे हुए सामान के साथ मलबे के ऊपर तंबू लगाकर बरसात में बैठे है।

क्या कहना है लोगों का
सरकार के आदेश पर निगम प्रशासन द्वारा बिना पुनर्वास कराए तोड़फोड़ की कार्यवाही की है, इस कार्यवाही ने इन्दिरा गांधी के इमर्जेंसी की याद दिलाता है। सरकार ने लोगों के मानव अधिकारों को छीन लिया है। यहां तक कि जीवन जीने का भी अधिकार छीन लिया है।
-रानी, पीड़ित महिला।

हमने अपने जीवन भर की पूंजी जमाई कॉलोनी के मकान में लगा दी है। उसके बाद अब प्रशासन इस कॉलोनी को अवैध बताकर यहां बने मकानों को ध्वस्त कर रहा है। जबकि निगम प्रशासन द्वारा यहां बिजली, पानी की सुविधा दी हुई है। उस समय कॉलोनी अवैध नही थी और आज अचानक कॉलोनी अवैध हो गई।
नूंह, पीड़ित महिला।

हमारे छोटे छोटे बच्चे है और रातभर बारिश में भीगने से बीमार हो गए है। ऊपर से सामान को सुरक्षित करने के साथ साथ अब रहने के लिए घर भी ढूंढना पड़ रहा। जो अकेले बहुत मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बच्चों की पढाई भी बाधित हो रही है। कॉलोनी में रहने वाले सभी लोगों के राशन कार्ड, वोटर कार्ड और अन्य सभी दस्तावेज बने हुए है। उसके बाद भी प्रशासन की यह कार्यवाही लोगों को जानबूझ कर परेशान करने जैसी है।

  • रमजान, स्थानीय।