New Delhi/Alive News: फेक मैट्रिमोनियल अकाउंट्स बनाकर महिलाओं को ठगने वाली एक महिला और उसके दोस्त को गिरफ्तार किया है। महिला की पहचान रेणुका गुसैन के तौर पर की गई है, जबकि उसका साथ देने वाले दोस्त की पहचान अमोस गौरांग के तौर पर हुई।
रेणुका और अमोस फेक मैट्रिमोनियल अकाउंट्स बनाकर महिलाओं को ठगते थे। इसका खुलासा तब हुआ जब एक महिला ने दिल्ली पुलिस में इसको लेकर कंप्लेंट दर्ज की। जानकारी के मुताबिक महिला की मैट्रिमोनियल प्रोफाइल के जरिए नरेश एंड्रिव्स नाम के व्यक्ति से पहचान हुई और उससे शादी को लेकर बातचीत चलने लगी।
महिला ने पुलिस को बताया, एक दिन उस व्यक्ति ने महिला को बोला कि वो उससे मिलने दिल्ली आ रहा है। जिस दिन वो यहां पहुंचने वाला था। उसने फोन किया और बताया कि कोई महंगा तोहफा ला रहा था। मगर, मुंबई में कस्टम वालों ने पकड़ लिया और फाइन लगा दिया। खुद को नरेश कहने वाले व्यक्ति ने बाद में लौटा देने की बात कह कर कई ट्रांजेक्शन के जरिए 34.9 लाख रुपए ट्रांसफर करवाए। उसके बाद वो गायब हो गया।
इस मामले में पुलिस ने कॉल डिटेल्स निकालें साथ ही बैंक अकाउंट का पता लगाया तो पता चला कि अकाउंट अमोस गौरांग के नाम पर दिल्ली के द्वारका ब्रांच का है। इसके अलावा पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से पता लगाया और अमोस गौरांग नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिसके बाद ये पता लगा कि उसने ये सब उसकी दोस्त रेणुका के साथ मिलकर किया है। पूछताछ में दोनों ने ये भी कबूला कि ऐसे उन्होंने दूसरी लड़कियों को भी ठगा है।
साइबर क्राइम करने वाले को इन धाराओं के तहत होती है सजा
कोई भी इंसान दूसरों के क्रेडिट कार्ड नंबर, पासपोर्ट नंबर, आधार नंबर, डिजिटल आईडी कार्ड, ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन पासवर्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर वगैरह का इस्तेमाल करके शॉपिंग या पैसे निकालता है तो वो साइबर क्राइम कहलाता है।
जब आप किसी दूसरे शख्स के नाम पर या उसकी पहचान का आभास देते हुए कोई जुर्म करते हैं, या उसका नाजायज फायदा उठाते हैं, तो यह जुर्म आइडेंटिटी थेफ्ट के दायरे में आता है। ऐसा करने वालों पर आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी), आईपीसी की धारा 419 लगाए जाने का प्रावधान है। जिसमे दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।