November 23, 2024

वृद्धा पेंशनः चार महीने से स्वयं को जीवित साबित करने की जद्दोजहद में लगे हैं 67 वर्षीय राजाराम

Shashi Thakur/Alive News
Faridabad:
67 वर्षीय राजाराम जिला समाज कल्याण के कागजों में स्वयं को जीवित साबित करने के लिए पिछले चार महीने से विभाग में जद्दोजहद कर रहे हैं। लेकिन अधिकारी उन्हें इतनी आसानी से जीवित मानने के लिए तैयार नहीं है। गांव के सरपंच और पटवारी ने उन्हें जिंदा होने की तसदीक कर दी है, फिर भी अधिकारी आरजीआई के डाटा में पीड़ित को जिंदा मानने के लिए राजी नहीं है।

एक तरफ सरकार का दावा हैं कि घर घर जाकर 60 वर्ष तथा इससे अधिक वर्ष के प्रत्येक व्यक्ति की वृद्धा पेंशन बनाई जाएगी। दूसरी तरफ सम्मान भत्ता काटने के लिए आरजीआई में बुजुर्गों को मृत घोषित किया जा रहा है। ये बुजुर्गों का कैसा सम्मान है। इन दिनों विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

ऐसा ही मामला फरीदपुर गांव से सामने आया है। जिला समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने आरजीआई में पीड़ित को 14 अप्रैल 2022 को मृत घोषित कर दिया और उनकी पेंशन रोक दी। पीड़ित राजाराम स्वयं को आरजीआई में जीवित घोषित करने और अपनी पेंशन फिर से शुरू करवाने के लिए सरकारी दफ्तर के चक्कर लगा रहे है। राजाराम के अनुसार जब उन्होंने अपनी परेशानी विभाग के कर्मचारियों को बताई तो बदले में कर्मचारियों ने उसने दस हजार रुपये की डिमांड की। राजाराम ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है। इसके साथ ही पीड़ित ने स्वयं को जीवित साबित करने और दोबारा पेंशन शुरू करने की मांग की है।

सीएम विंडों पर भी नहीं हुई सुनवाई
राजाराम ने बताया कि इस संबंध में सीएम विंडो  पर लगभग एक महीने पहले शिकायत की गई थी, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में पीड़ित स्वयं को जीवित साबित करने के  लिए ऑफिस-ऑफिस भटक रहे हैं।

क्या कहना है जिला उपायुक्त का
सॉफ्टवेयर में तकनीकी खराबी के कारण लोगों का डाटा अपडेट करने में विभाग के अधिकारियों से गड़बड़ी हुई है। जिसके कारण बुजुर्गों को काफी परेशानी हो रही है। इसे ठीक करने का काम जारी है।
-जितेंद्र यादव, जिला उपायुक्त फरीदाबाद।