New Delhi/Alive News : सीखने की कोई उम्र नही होती। कहते है न शिक्षा के दम पर इंसान जिंदगी की सभी कठिनाईयों को पार कर जीवन की सभी मूलभूत सुविधाएं प्राप्त कर सकता है। ऐसी ही एक कहानी ताजनगरी की दो सहेलियों की है। जो 70 साल की उम्र में साक्षर बनने के लिए मेहनत कर रही है। शिक्षा दोनों सहेलियां इंद्रावती और मंजू के जीवन में नई रोशनी बिखेर रहा है। इंद्रावती ने हस्ताक्षर करना सीख लिया है तो मंजू को रुपयों का हिसाब लगाने में मजा आ रहा है।
दोनों सहेलियों को अपने पोते और नातियों को पढ़ते देखकर प्रेरणा मिली। जिसके बाद दोनों सहेलियां दो जून को पास ही स्थित एक पहल संस्था की पाठशाला में पहुंच गईं और बोलीं, हमें पढ़ना है। पाठशाला के शिक्षक पहले तो चौंक गए फिर उनसे दूसरे दिन आने के लिए कहा। दूसरे दिन वे सबसे पहले पाठशाला पहुंचीं। अब दोनों सहेलियां कागज पर हस्ताक्षर करने से लेकर घर का सामान्य हिसाब खुद करने लगी हैं। घर में रात में जब सभी लोग सो जाते हैं, तो इंद्रावती और मंजू कॉपी में हर रोज पहाड़े लिखती हैं। हिंदी के अक्षरों से शब्द बनाती हैं।
दयालबाग में सिकंदरपुर निवासी इंद्रावती अक्षर ज्ञान पाकर बहुत खुश हैं।दयालबाग स्थित बसेरा के पीछे बस्ती में रहने वाली मंजू इन दिनों घर में पैसे लेते-देते समय खुद हिसाब लगाती हैं। हिसाब करने और हस्ताक्षर करने में बहुत मजा आता है।