Lucknow/Alive News : वाराणसी के मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी विवाद पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट सुनवाई करेगी। मिली जानकारी के अनुसार दोनों पक्षों के अधिवक्ता कोर्ट पहुंच गए हैं और कुछ ही देर में कोर्ट की सुनवाई शुरू हो सकती है। ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि DGC सिविल के प्रार्थना पत्र के अलावा हिंदू पक्ष और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दाखिल की गई आपत्तियों पर भी बहस होगी।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी सोमवार को जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल करने पहुंचे। उन्होंने याचिका में कि है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग के स्नान, भोग-राग, शृंगार और पूजापाठ का अधिकार उन्हें दिया जाए।
मिली जानकारी के अनुसार ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई के समय को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष अभी आश्वस्त नहीं हैं। संभावना इस बात की ज्यादा है कि सुनवाई दोपहर दो बजे से हो। मां श्रृंगार गौरी प्रकरण की वादिनी महिलाओं के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता है। विष्णु जैन ने बताया कि वर्ष 1937 में दीन मोहम्मद के केस में 15 लोगों ने इस बात की गवाही दी थी कि वहां पूजा होती थी जो वर्ष 1942 तक हुई। इसलिए वह एक्ट ज्ञानवापी प्रकरण में प्रभावी नहीं होगा। यही तथ्य वह अदालत के सामने भी रखेंगे।
जानकारी के अनुसार कोर्ट पहले यह तय करेगा कि ज्ञानवापी प्रकरण आगे चलने वाला है या नहीं। संभावना यह भी है कि एडवोकेट कमिश्नर की टीम द्वारा किए गए ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की रिपोर्ट पर भी जल्द ही चर्चा शुरू हो सकती है।
जिला न्यायालय के न्यायाधीश के द्वारा मामले की सुनवाई की जाएगी। न्यायालय का जो भी आदेश होगा, वह हमें स्वीकार्य होगा। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट निष्पक्ष है। रिपोर्ट से कुछ भी लीक नहीं हुआ है और यह दायर होने तक गोपनीय है। अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद, यह सार्वजनिक डोमेन में आता है। ज्ञानवापी मस्जिद स्थित वजूखाने में मिली पत्थर की इस ठोस संरचना को लेकर एक पक्ष का दावा है कि यह शिवलिंग है। वहीं दूसरे पक्ष का दावा है कि यह पुराना फव्वारा है।
ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर आज वाराणसी की कोर्ट में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता परिवाद दाखिल करेंगे। विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भी ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में खुद को वादी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। विष्णु गुप्ता ने बताया कि हमारे प्रार्थना पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
उधर, ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका सोमवार को दायर हुई है। यह याचिका BJP नेता और एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय ने डाली है। उन्होंने मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज करने की मांग की है। कहा है कि मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद वैध नहीं होती, ऐसा इस्लामिक सिद्धांत है।
बीते 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने ज्ञानवापी केस को वाराणसी जिला जज की कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा था कि मामला हमारे पास जरूर है, लेकिन पहले इसे वाराणसी जिला कोर्ट में सुना जाए।
कोर्ट ने कहा कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट से ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित पत्रावली जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई। बता दें कि 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तीन बड़ी बातें कही थीं।