Chandigarh/Alive News: हरियाणा के करनाल जिले के निसिंग क्षेत्र से जम्मू के बनिहाल में राष्ट्रीय रायफल थल सेना में सूबेदार के पद पर तैनात जाणी गांव के रमेश चंद-46 की ड्यूटी के दौरान भारी बर्फबारी में अचानक तबियत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। रविवार को पैतृक गांव जाणी में राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी गई। उनकी तीन बेटियों ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। इस दौरान श्मशान घाट में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।
सूबेदार को अंतिम विदाई देने के लिए ग्रामीणों के साथ ही धार्मिक, राजनीतिक व सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोग पहुंचे। उनकी अंतिम यात्रा में घरौंडा विधायक हरविंद्र कल्याण, असंध के पूर्व विधायक जिले राम शर्मा, नरसिंह बबलू, थल सेना से नायब सूबेदार सकल देव सिंह, नायब सूबेदार जसबीर सिंह, नायब सूबेदार नदीम अली शामिल हुए।
काफी दिनों से थे बीमार
जानकारी के अनुसार सूबेदार रमेश चंद्र के साथी अधिकारी नायब सूबेदार नदीम अली ने बताया कि वे उनके साथ 12 राष्ट्रीय रायफल में जम्मू के बनिहाल में पोस्ट पर तैनात थे। विषम परिस्थितियों में अपनी जान की परवाह किए बगैर वे लगातार ड्यूटी करते रहे। कुछ दिन पहले उनकी तबीयत बिगड़ गई तो उन्हें मिलिट्री अस्पताल उधमपुर में इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन हालत में सुधार नहीं हो पाया। इलाज के दौरान ही 15 जनवरी को सुबह तीन बजे सूबेदार रमेश चंद्र की मौत हो गई।
सूबेदार की तीन बेटियां काजल, निकिता व पायल ने अपने बहादुर पिता के अंतिम संस्कार की रस्म को निभाते हुए मुखाग्नि दी। नरसिंह बबलू ने बताया कि वे अपनी बेटियों को सेना में अफसर बनाने की अक्सर बात करते थे, इसलिए उन्होंने बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाई। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही सूबेदार छुट्टियां बिता कर गांव से गए थे।
सैनिक सम्मान के दौरान तिरंगा में लिपटे सूबेदार रमेश चंद्र के पार्थिव शरीर को गांव में लेकर पहुंचे अधिकारियों ने उनके पिता मानसिंह को सौंप दिया। इस दौरान बेबस पिता तिरंगे को सीने से लगाकर फूट फूटकर रो पड़े। वहीं, मां भुगडी देवी भी अपने कलेजे के टुकड़े को तिरंगे में लिपटा देखकर चीख पड़ी। रोते हुए बोली कि हर जन्म में उसे रमेश जैसा बेटा नसीब हो, ये कहते हुए वे बेहोश हो गई।