Chandigarh/Alive News : हरियाणा के अरावली क्षेत्र में पहली बार मिले शैल चित्रों के शोध से पुरा पाषाण काल की मानव संस्कृति का रहस्य खुल सकता है। मिली जानकारी के अनुसार पुरातत्व विभाग ने शोध शुरू कराने से पहले गुरुग्राम, फरीदाबाद व आसपास के क्षेत्र में स्थित इन ऐतिहासिक स्थलों के लिए सरकार से सुरक्षा मांगी है। क्षेत्र के विस्तृत अध्ययन व शोध में कम से कम दो साल लगेंगे। विभाग ने इन स्थलों को सुरक्षित करने का प्रस्ताव सरकार को सिफारिशों के साथ भेजा है। जिसमें स्थलों के आसपास खनन व निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने का आग्रह भी शामिल है।
जानकारी के अनुसार विभाग ने जून 2021 में मंगर बानी, शिलाखरी, मंगर, कोट, धौज, रोज का गुज्जर, दमदमा क्षेत्र में खोजबीन की थी। उसमें शैल आश्रयों से पाषाण युग के उपकरण व चित्र मिले हैं। पुरा पाषाण काल के औजारों की पहचान अरावली के कुछ हिस्सों में पहले भी की जा चुकी है, लेकिन यह पहली बार है जब बड़े पैमाने पर गुफा चित्र और रॉक कला पाई गई है। अरावली में अब तक कोई शैल चित्र नहीं मिले थे।
विभाग के अनुसार यह संरक्षित स्थल नहीं हैं, इसे ठीक से प्रलेखित किया गया है, न ही पूरी खोज हुई है। खोज से हरियाणा का ऐतिहाससामने आएगा। गुफा चित्रों को अभी तक दिनांकित नहीं किया गया है। कुछ पेंटिंग इतिहासिक हैं और कुछ बाद के चरणों की हैं। पुरा पाषाण काल की मानव संस्कृति और उपकरणों के विकास को समझने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।