New Delhi/Alive News : भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है. लेकिन इस बीच महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में कुछ जगहों पर नकली कोरोना वैक्सीन लगाने के मामले भी सामने आए थे. ऐसे मामलों पर नकेल कसने के लिए सरकार प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूक कर रही है. भारत में लगाए जा रहे कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-वी के कोरोना टीके की पहचान कैसे की जाए, इसको लेकर गाइडलाइंस जारी की गई हैं.
आम लोग भले ही कोरोना टीके के असली-नकली होने का पता जल्दी से ना लगा सकें, लेकिन टीका उपलब्ध कराने का काम देख रहे प्रशासन के लोगों को ताजा गाइडलाइंस से जरूर मदद मिलेगी. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, अतिरिक्त सचिव मनोहर अगनानी की तरफ से केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों और प्रधान सचिवों (स्वास्थ्य) को एक पत्र लिखा गया है. उसमें कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल से पहले उसे सावधानीपूर्वक प्रमाणित करने की जरूरत है. साथ ही साथ बताया भी गया है कि असली कोरोना वैक्सीन को वैसे पहचानें.
कोविशील्ड की ऐसे करें पहचान
-सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का लेबल, एसआईआई लेबल का रंग गहरा हरा होगा
-गहरे हरे रंग की एल्यूमीनियम फ्लिप-ऑफ सील होगी
-ब्रैंड का नाम COVISHIELD ट्रेड मार्क के साथ लिखा होगा
-जेनेरिक नाम का टेक्सट फॉन्ट बोल्ड अक्षरों में नहीं होगा
-CGS NOT FOR SALE प्रिंट होगा
कोवैक्सिन की पहचान
-लेबल पर ना दिखने वाले (अदृश्य) UV होलिक्स होगा, जो कि सिर्फ UV लाइट्स में ही देख सकते हैं.
-COVAXIN का ‘X’ दो रंगों में होगा. इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहते हैं.
स्पूतनिक-वी टीके को ऐसे पहचानें
-स्पूतनिक-वी को रूस के दो अलग-अलग प्लांट से आयात किया जा रहा है, इसलिए इसके लेबल अलग-अलग मिलेंगे.
-लेबल पर दी जानकारी और डिजाइन तो एक जैसा होगा, बस प्लांट का नाम अलग-अलग होगा.
-अबतक जो स्पूतनिक-वी आयात हुई हैं, वे 5 शीशियों वाले गत्ते के पैक में आती हैं. इनके गत्ते पर इंग्लिश में नाम लिखा होता है.