New Delhi/Alive News : पकौड़े या पूरियां बनाने के बाद अक्सर लोग बचे हुए तेल को संभालकर रख लेते हैं. इस तेल का इस्तेमाल कई बार दूसरी चीजों को बनाने में किया जाता है. तेल को बर्बाद होने से बचाने के लिए ऐसा किया जाता है है. लेकिन क्या ऐसा करना सही है? रीयूज ऑयल या दोबारा इस्तेमाल किया जाने वाला तेल गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है.
एक स्टडी के अनुसार, खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने से विषैले पदार्थ निकलते हैं और शरीर में फ्री रेडिकल्स बढ़ जाते हैं. इससे शरीर में सूजन और कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) की गाइडलाइलंस के अनुसार, रियूज तेल का दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ट्रांस फैट से बचने के लिए इसका इस्तेमाल तीन बार तक कर सकते हैं.
जहां तक हो सके तेल को दोबारा गर्म करने और दोबारा इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. आइए एक्सपर्ट्स के अनुसार जानते हैं कि रियूज तेल के इस्तेमाल के क्या नुकसान होते हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि कोई व्यक्ति कितनी बार रियूज तेल का उपयोग कर सकता है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि इसमें किस तरह का खाना तला जा रहा है, ये किस तरह का तेल है और इसे किस तापमान पर कितने समय के लिए गर्म किया गया था.
उच्च तापमान पर गर्म किया गए तेल में से जहरीले धुंआ निकलता है. इसलिए स्मोक प्वॉइंट तक पहुंचने तक ही इसे गर्म करना चाहिए.
हर बार जब तेल गर्म किया जाता है तो उसके फैट पार्टिकल्स टूट जाते हैं. इससे ये अपने स्मोक प्वॉइंट तक पहुंच जाता है और बार-बार उपयोग किए जाने पर इसमें से बदबू आने लगती है. जब ऐसा होता है तो बीमारी पैदा करने वाले पदार्थ हवा में और पक रहे भोजन में मिल जाते हैं.
उच्च तापमान पर तेल में मौजूद कुछ फैट ट्रांस फैट में बदल जाते हैं. ट्रांस फैट हानिकारक फैट होते हैं जो हृदय रोग के खतरे को बढ़ाते हैं. जब तेल का दोबारा उपयोग किया जाता है तो ट्रांस फैट की मात्रा और भी अधिक हो जाती है. इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है.
भोजन में पाई जाने वाली नमी, वायुमंडलीय ऑक्सीजन, उच्च तापमान, हाइड्रोलिसिस, ऑक्सीकरण और पोलीमराइजेशन जैसी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करते हैं. ये प्रतिक्रियाएं उपयोग किए गए तेल, फैटी एसिड और रेडिकल जो मोनोग्लिसराइड्स, डाइग्लिसराइड्स और ट्राइग्लिसराइड्स को उत्पन्न करते हैं. ये उनकी की रासायनिक संरचना को बदलते हैं और संशोधित करते हैं.
इन्हें टोटल पोलर कंपाउंड्स के तहत वर्गीकृत किया गया है जो कुकिंग ऑयल के डिग्रेडेशन को मापने के लिए एक विश्वसनीय बेंचमार्क है. बार-बार तलने के बाद बनने वाले इन यौगिकों की टॉक्सिसिटी शरीर में लिपिड के जमने की क्षमता को बढ़ा देती है, ऑक्सीडेटिव तनाव, हाई ब्लड प्रेशर और एथेरोस्क्लेरोसिस आदि का कारण बन सकती है.
स्टडी के अनुसार, अब जब हम जानते हैं कि तेल को दोबारा गर्म करना कितना हानिकारक हो सकता है तो स्वस्थ और रोग मुक्त रहने के लिए आवश्यकता के अनुसार उचित मात्रा में ही तेल का इस्तेमाल करें.