इस वर्ष धूमावती जयंती 18 जून यानी कल शुक्रवार को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व प्रति वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव द्वारा प्रकट की गई दस महाविद्याओं में सातवें स्थान पर पुरुषशून्या ‘विधवा’ आदि नामों से जानी जाने वाली माँ ‘धूमावती’ का नाम आता है। विधवा, भिक्षाटन, दरिद्रता, भूकंप, सूखा, बाढ़, प्यास रुदन, वैधव्य, पुत्रसंताप, कलह इनकी साक्षात प्रतिमाएं हैं, डरावनी सूरत, रुक्षता, अपंग शरीर जिनके दंड का फल है इन सबों की मूल प्रकृति में ‘धूमावती’ ही हैं।
धूमावती जयंती का महत्व
इनका निवास ज्येष्ठा ‘नक्षत्र’ है। इसीलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक जीवन भर किसी ना किसी प्रकार के संघर्षों से लड़ता रहता है। इन्हें ही अलक्ष्मी नाम से भी जाना जाता है। इनकी पूजा-आराधना से उपरोक्त सभी प्राणियों के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से जातकों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। कर्ज मुक्ति और कालसर्प दोष मुक्ति के लिए आपको ये उपाय जरूर करने चाहिए।
विशेष उपाय दोषो से दिला सकते है मुक्ति
हिंदू मान्यता के अनुसार धूमावती जयंती के दिन काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए और क्रूर ग्रहों के दोषों को खत्म करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं। इसके लिए मां के सामने जटामांसी और कालीमिर्च से हवन करना चाहिए। भाग्य को जगाने के लिए इस दिन रक्तचंदन घिसकर उसमें शहद मिलाएं और इसमें जौ मिलाकर हवन करें। वहीं कानूनी झंझटों से छुटकारा पाने के लिए काली मिर्च से हवन कर सकते हैं।
घी से करें हवन
ऐसी मान्यता है कि धूमावती जयंती के दिन कर्ज से मुक्ति पाने के लिए नीम की पत्तियों और घी से हवन करना चाहिए। यह उपाय बेहद कारगर माना जाता है। इस दिन कंगाली दूर करने के लिए गुड़ और गन्ने से हवन करना चाहिए। वहीं अच्छी सेहत के लिए और रोग-दोष से छुटकारा पाने के लिए या फिर बड़े संकट को टालने के लिए इस दिन मीठी रोटी और घी से हवन करना चाहिए।
पूजा विधि
पौराणिक कथाओं के मुताबिक धूमावती जयंती के दिन पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। दरअसल, यह माता का उग्र रूप है, इस कारण मां के पूजन-हवन में बहुत सावधानी रखनी होती है। पूजा के लिए किसी विद्वान पंडित की सलाह अवश्य लें, वरना गलती होने से नुकसान भी हो सकता है।