Faridabad/Alive News : प्राईवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी मामले में अब जिला शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर ही उंगलियां उठने लगी हैं। अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जिस प्रकार से शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी बला टालने के लिए स्कूलों को फीस ना बढ़ाने के नोटिस दे रहे हैं और फिर अपने ही आदेशों को अगले दिन कैंसिल कर रहे है, उससे इन अधिकारियों की कार्यकुशलता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
ऐसा ही एक वाक्या यहां सैक्टर-16ए स्थित ग्रेंड कोलम्बस इंटरनेशनल स्कूल के मामले में देखने को मिला जहां जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने ना जाने क्या सोचकर एक शिकायत को आधार बनाकर पहले तो 24 अप्रैल को उक्त स्कूल को निर्देश देते हुए एक नोटिस जारी कर दिया कि वो अपने स्कूल में कोई बढ़ा हुआ चार्ज ना लें तथा विद्यार्थियों को परेशान ना करें अन्यथा उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की जाएगी और अगले दिन अपने ही उक्त पत्र को निरस्त करते हुए 25 अप्रैल को दूसरा नोटिस जारी कर दिया कि वो नियमानुसार फीस बढ़ोतरी के मामले में कार्यवाही करें।
जबकि स्वयं उन्होंने अपने पहले नोटिस में यह भी लिखा था कि उनके ग्रेंड कोलम्बस इंटरनेशनल स्कूल के विरूद्ध फीस वृद्धि, वार्षिक चार्ज, परीक्षा चार्ज व ट्रांसपोर्ट चार्ज आदि को लेकर जो शिकायत प्राप्त हुई है उसका निपटारा फीस एंड रेगुलेटरी कमेटी द्वारा किया जाना है। इस मामले में स्कूल के एम.डी. सुरेश चन्द्र का कहना है कि उनके स्कूल ने नियमानुार फार्म-6 शिक्षा विभाग में जमा कराया हुआ है जिसके तहत ही वो अभिभावकों से अपनी फीस ले रहे हैं। जहां तक बात है फीस बढ़ोतरी आदि के बारे में उनके स्कूल के विरूद्ध शिकायत होने और उस पर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी द्वारा उन्हें नोटिस जारी करने की तो जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को उनके स्कूल को इस मामले में नोटिस जारी करने का कोई अधिकार ही नहीं हैं।
उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर गलत तरीके से यह नोटिस जारी किया था जोकि उन्होंने स्वयं ही अब निरस्त यानि रद्द कर दिया है। अब सवाल यहां उठता है कि जब जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को फीस बढ़ोतरी के ऐसे मामले में कोई नोटिस जारी करने का अधिकार ही नहीं है तो फिर उन्होंने नोटिस जारी ही क्यूं और किसके दबाव में किया। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की इस हरकत ने उनकी कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जो भी हो, जिस तरीके से जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के पहले नोटिस के बाद अभिभावकों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई और स्कूल संचालकों को बेवजह परेशानी का सामना करना पड़ा, उससे हो ना हो शिक्षा विभाग की किरकिरी हुई है।