Lifestyle/Alive News: आजकल हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कम उम्र में भी लोग हार्ट अटैक की चपेट में आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अनियमित लाइफस्टाइल और गलत आदतें हैं। स्मोकिंग भी इसका एक कारण है। आजकल बड़ी संख्या में यूथ स्मोकिंग का शिकार हो रहे हैं। जिसका असर उनकी उम्र बढ़ने पर सेहत पर होता है। स्मोकिंग फेफड़े ही नहीं पूरी सेहत के लिए खतरनाक होता है। हार्ट पर तो इसका निगेटिव असर पड़ता है। यही कारण है कि स्मोकिंग से दूरी बनाकर सही लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए।
स्मोकिंग कार्डियोवैस्कुलर डिजीज यानी हार्ट डिजीज के सबसे बड़े कारणों में से एक है। कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से होने वाली हर चार में से एक मौत स्मोकिंग की वजह से होती है। स्मोकिंग से शरीर में ट्राइग्लिसराइड यानी एक तरह का फैट बढ़ता है। इसकी वजह से बॉडी में गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम करती है। ये ब्लड को स्टिकी बना देता है, जिससे ब्लड आसानी से क्लॉट बन जाता है।यह ब्लड फ्लो को हार्ट और ब्रेन तक पहुंचने से ब्लॉक करता है। स्मोकिंग करने वालों में नॉन स्मोकर्स की तुलना में ऑक्सीजन सप्लाई कम हो जाती है, जिससे हार्ट पर निगेटिव असर पड़ता है।
स्मोकिंग ब्लड वेसल्स की सेल्स लाइनिंग को डैमेज करने का काम करता है. इसकी वजह से ब्लड वेसल्स में प्लाक बनता है। ऐसे में ब्लड वेसेल्स सिकुड़ने लगता है और ब्लड फ्लो स्लो हो जाता है। पर्याप्त मात्रा में ब्लड हार्ट तक नहीं पहुंचने पर हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
स्मोकिंग की तरह ही सेकंड हैंड स्मोक भी दिल की सेहत के लिए हानिकारक है। सेकंड हैंड स्मोक तंबाकू प्रोडक्ट को जलाने के बाद बाहर निकलता है और सांस से इन्हेल करते हैं। सेकंड हैंड स्मोक ब्रीदिंग से क्रोनरी हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ता है। नॉन स्मोकर जो सेकंड हैंड स्मोक ब्रीदिंग करते हैं, उनमें हार्ट डिजीज का खतरा 25 से 30 प्रतिशत तक ज्यादा होता है। सेकंड हैंड स्मोक से स्ट्रोक का जोखिम करीब 20 से 30% तक ज्यादा बढ़ जाता है। सेकंड हैंड स्मोक से हार्ट, ब्लड और वैस्कुलर सिस्टम के सामान्य फंक्शंस पर निगेटिव असर डालता है। जिसकी वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।