November 17, 2024

जले मरीजों को रखने के लिए मेडिकल कॉलेज में नहीं है कोई व्यवस्था, पढ़िए खबर

UttarPradesh/Alive News: दीपावली को देखते हुए कॉलेज प्रशासन की ओर से तैयारियों का दावा तो किया जा रहा है परन्तु मेडिकल कॉलेज में जले हुए मरीजों को रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है ऐसे में अगर मरीजों की संख्या बढ़ी तो इलाज का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।

मिली जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में एक भी बर्न यूनिट नहीं है। चिकित्सको ने बताया कि झुलसे गंभीर रोगियों को देखते ही रेफर कर दिया जाता है। जले मरीजों को रखने के लिए अलग से वार्ड होना चाहिए। दीपावली में अगर कोई बड़ी घटना होती है तो सारी व्यवस्था की पोल खुल जाएगी। बताया जा रहा है कि सामान्य दिनों में हर माह दो से चार मरीज आग से झुलसकर पहुंचते हैं। गर्मी में आग लगने की घटनाएं बढ़ती हैं, जिसमें बर्न पेशेंट की संख्या भी बढ़ जाती है।

सुविधा नहीं होने से इन मरीजों का प्राथमिक इलाज करके रेफर कर दिया जाता है। सर्जन डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि त्योहार को देखते हुए इमरजेंसी में व्यवस्था की गई है। 50 प्रतिशत से ऊपर अगर मरीज जलता है, तो उसे हॉयर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है। अगर हमारे लायक होगा, तो हम एक वार्ड खाली करा कर कॉलेज की सुविधाओं के अनुसार ट्रीटमेंट करेंगे। इस बाबत सीएमएस डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि पटाखे से जलने वाले मरीजों के लिए तात्कालिक व्यवस्था इमरजेंसी में है, बर्न वार्ड की व्यवस्था नहीं है।

मेडिकल कॉलेज के चेस्ट एवं अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण गौतम का कहना है कि दीपावली रोशनी का त्योहार है। यह हमेशा आनंदमय होता है, हालांकि इसका एक नकारात्मक पहलू भी है। यह पटाखे फोड़ने से आता है। पटाखे के बारूद से हवा की गुणवत्ता में अचानक बदलाव आता है। प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ जाता है। अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जटिलताओं से बचने के लिए अस्थमा रोगियों को दिवाली के दौरान अतिरिक्त सावधान रहना होगा।

डॉ. गौतम ने बताया कि पटाखे फोड़ने से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और छोटे कण सहित कई हानिकारक वायु प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं। श्वसन प्रणाली की सहायता से अंदर आसानी से जम जाते हैं। यह सांस लेने में कठिनाई और अस्थमा के दौरे का कारण बन सकते हैं। यह धुआं श्वसन तंत्र में जलन पैदा कर सकता है, जलन और बलगम बढ़ सकता है।