Faridabad/Alive News : हमारे देश का तिरंगा भारत की आन बान शान है। हमारे देश का तिरंगा लहराता है तो भारतीय सेना का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। आज की तारीख भारत के हर भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण है। आज की तारीख भारत की आजादी के लिए इतिहास में खास दिन है। जिसे साकार करने के लिए कितने वीरों को हंसते-हंसते जान की कुर्बानी देनी पड़ी थी।
22 जुलाई 1947 को मिला था राष्ट्रीय ध्वज
रिंकू को पहली बार 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मनाया गया था। इस दिन से आज तक 22 जुलाई को हर वर्ष राष्ट्रीय ध्वज दिवस मनाया जाता है।
किस प्रकार से हुई राष्ट्रीय ध्वज की रचना
1916 में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया भारत के लिए एक ऐसे झंडे का विचार किया जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधकर रखें। पिंगली वेंकैया व एसबी बोमान और उमर सोमानी के साथ मिलकर नेशनल फ्लैग की स्थापना की। पिंगली वेंकैया महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते थे। उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में महात्मा गांधी से विचार विमर्श किए। महात्मा गांधी ने राष्ट्रय ध्वज के बीचों-बीच अशोक चक्र रखने की बात की जो कि संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बनेगा।
पहले का राष्ट्रीय ध्वज
पिंगली वेंकैया ने सबसे पहले जो राष्ट्रीय ध्वज ने लाल और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र था। जिसमें लाल रंग हिंदू तथा हरे रंग मुस्लिम समुदाय का प्रतीक था। ध्वज में सफेद रंग और चरखा गांधी के सुझावों से शामिल किया गया था।
देश की आजादी की घोषणा से पहले कांग्रेस के सामने यह प्रश्न आ खड़ा हुआ कि अब राष्ट्रीय ध्वज को क्या रूप दिया जाए। इसके लिए डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक कमेटी का निर्माण किया। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने जो तिरंगा देश के लिए राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था वह पूरी तरह से 1931 का तिरंगा नहीं था। केसरिया रंग देश की धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति का, सफेद रंग शांति का तो हरा रंग प्रकृति का प्रतीक माना गया ।
झंडे की चौड़ाई और उसकी लंबाई का सरकार द्वारा निर्धारित अनुपात 2 से 3 है। सफेद पट्टी के केंद्र में एक गहरे नीले रंग का पहिया होता है जो चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। चक्र का डिजाइन अशोक के सारनाथ सिंह राजधानी जिसे धर्म चक्र कहा जाता है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चढ़ाई के बराबर है और इसमें 24 से लिया है।