November 6, 2024

Cyber Fraud से बचने के लिए रखे कुछ आवश्यक बातो का ध्यान

Cyber Fraud : देशभर में साइबर फ्रॉड के मामले अब लगातार देखने को मिल रहे है। हर दिन कोई न कोई व्यक्ति फ्रॉड के जाल में आसानी से फस जाता है इसे देखते हुए सुरक्षित डिजिटल भुगतान, इको-सिस्टम प्रदान करने तथा साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वीरवार को हेल्पलाइन नंबर 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म शुरू किया हुआ है।

साइबर ठग अलग-अलग तरीको से लोगो को अपना शिकार बना लेते है और आसानी से हमारी जानकारी को प्राप्त कर लोगो के बैंक आकउंट को खाली कर लेते है। इन ठगियो से बचने के लिए हमें छोटी छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिससे ठगो से सुरक्षित बचा जा सके।

साइबर ठगी से बचने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म, साइबर धोखाधड़ी में नुकसान उठाने वाले व्यक्तियों को ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने तथा सूचना देने के लिए एक मंच व सुविधा प्रदान करता है, पीड़ित इंटरनेट बैंकिंग समेत ऑनलाइन फाइनेंस से संबंधित धोखाधड़ी की शिकायत इस नंबर 155260 पर दर्ज करा सकते हैं या ऑनलाइन धोखेबाजी का शिकार होने के बाद पीड़ित को पुलिस अधिकारी द्वारा मैनेज हेल्पलाइन पर कॉल करना है. अगर फ्रॉड हुए 24 घंटे से ज्यादा हो गया है तो पीड़ित को नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर एक औपचारिक शिकायत दर्ज करनी चाहिए। अगर फ्रॉड हुए 24 घंटे से कम समय हुआ है तो पुलिस ऑपरेटर फॉर्म भरने के लिए अपराध का डिटेल और पीड़ित की निजी जानकारी मांगेगा।

हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करते ही इसकी सूचना संबंधित वित्तीय संस्थानों तक पहुंचा दी जाती हैं। यह फ्रॉड ट्रांजेक्शन टिकट जिस वित्तीय संस्थान से पैसा कटा हैं और जिन वित्तीय संस्थान में गया है। दोनों के डैशबोर्ड पर नजर आएगा। जिस बैंक व वॉलेट में टिकट दिया गया होता है उसे फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी के लिए जांच करनी होती है। इसके बाद ट्रांजेक्शन को टेम्परेरी ब्लॉक कर दिया जाता है।

ऐसे काम करेगा हेल्पलाइन नंबर और इससे जुड़ा प्लेटफॉर्म
-साइबर ठगी के शिकार लोग हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं, जिसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है।
– कॉल का जवाब देने वाला पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी वाले लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले पीड़ित की बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी लिखता है, और इस जानकारी को नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज करता है।
– फिर ये टिकट संबंधित बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स आदि तक तेजी से पहुंचाया जाता है, और ये इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस पीड़ित के बैंक हैं या फिर वो बैंक/वॉलेट हैं जिनमें धोखाधड़ी का पैसा गया है।
– फिर पीड़ित को एक एसएमएस भेजा जाता है जिसमें उसकी शिकायत की पावती संख्या होती है और साथ ही निर्देश होते हैं कि इस पावती संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर जमा करें।

साइबर ठगी से बचने के लिए रखने इन बातो का रखे ध्यान
टू फैक्टर ऑथेटिकेशन: उन्होंने बताया की अगर हम सोशल मीडिया आकउंट बनाते है, टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन रखना चाहिये इससे हमे आसानी से किसी भी समस्या से उभरने में मदद मिलती है साथ ही अगर कोई हमारी मेल आईडी या सोशल मीडिया अकाउंट से छेड़खानी करेगा तो हमें आसानी से पता चल जायेगा।

बैंक आकउंट में कॉमन नंबर न करे लिंक: उन्होंने बताया कि बैंक अकाउंट आदि से हमें जो नंबर लिंक करना चाहिए। वह नंबर अगर कॉमन न हो तो बेहतर होगा और अकाउंट में प्राइवेट नंबर लिंक करने से फ्रॉड की सम्भावना न के बराबर होती है।

अनजान लिंक खोलने से करे परहेज: उन्होंने कहा कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए अनजान नंबर पर कॉल करने या अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचना चाहिए। इस तरीके के साइबर अपराधों और अन्य प्रकार की ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है।