फरीदाबाद : सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेला हाथ के तरह-तरह के हैरतअंगेज व करिश्माई नमूनों से सजा हुआ है। पीतल को बड़े ही सलीके से ढाल-तराश कर नक्कासी करने के उपरान्त कारीगर के कुशल हाथों से तैयार की गई शिल्पकारी मुगलकालीन कला जैसी समृद्ध भारतीय धरोहर के दर्शन करा रही है।
कुछ ऐसा ही करिश्मा उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से आए पीतल नक्कासी के सुप्रसिद्ध 85 वर्षीय शिल्पकार मोबिन हुसैन के स्टाल नम्बर-1009 पर देखा जा सकता है। इन्हें इस अद्भुत कला के लिए महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सन् 2010 के शिवगुरू अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। मोबिन हुसैन बताते हैं कि यह उनकी पुश्तैनी शिल्पकला है जिससे वे स्वयं पिछले लगभग सात दशकों से सीधे रूप में जुड़े हुए हंै।
पीतल को गला कर विभिन्न प्रकार के ढांचो में ढाला जाता है। फिर इसकी साफ-सफाई व तराशने का काम पूरा किया जाता है। दिखने में रंगबिरंगी चित्रकारी से सजी पूजा की घंटियां, दीपक, फ्लावर पाट, मयूर व हाथी जैसी अजीब तरह की नक्कासी व मीनाकारी की कृतियां हैं जो कि इस कला के जादूगर ब्रास शिल्पकार मोबिन हुसैन के कुशल हाथों के कमाल को बयां करती है।
उनका कहना है कि अब वे अपने तीनों बेटों मोईन, नौशाद और नदीम को भी इस कला में पारंगत कर चुके हैं और वे सभी मिलकर काफी तादाद में ब्रास शिल्प की चीजें बनाते है। मुरादाबाद में डाक्टर ऑथर अली रोड़ स्थित अपने घर पर ही शिल्पकारी करते है। तरह-तरह के रंग जो उनकी बनाई हुई चीजों पर दिखते हैं वे आग की तपिश और पोलिश का कमाल है जिसे वे स्वयं अपने कुशल हाथों से उकेरते हैं। उनके स्टाल पर कोई भी मेला दर्शक इस अनूठी कला को निहारने के लिए अनायास ही रूकने को विवश हो जाता है और उसका मन यही कह उठता है कि कमाल है मेरे प्यारे देश भारत की शिल्पकारी।