Alive News/न्यूयॉर्क 29 मार्च : देखा गया है कि लोगों को जब भी भूख लगती है, तो वह जंक फूड काना प्रिफर करते हैं। इस दौरान कभी उन्हें खट्टा खाने का मन करता है, तो कभी मीठा, कभी नमकीन, तो कभी तीखा। वहीं, दूसरी ओर अदर देखा जाए, तो खाने में तरह-तरह की वैरायटी न लेने की वज़ह से मनुष्य की आंतों में बैक्टीरिया का ईकोलॉजी सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज़ और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
अध्ययन को करने के बाद लोगों को जानकारी दी गई है कि वे अपने खाने में तरह-तरह की वैरायटी के खाद्य पदार्थों को शामिल करें। पिछले 50 सालों में खेती के तरीकों में बदलाव आया है, जिसके कारण कृषि विविधता के कम होने की वज़ह से खाने की वैरायटी भी घटी है। यह शोध ‘मोलिक्युलर मेटाबॉलिज्म जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है।
अमेरिका के बॉयोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं की टीम का कहना है कि “एक स्वस्थ मनुष्य की आंतों में कई प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। अगर इन बैक्टीरिया की वैरायटी में कमी आती है, तो इससे टाइप-2 डायबिटीज़, मोटापा और पेटदर्द जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं”।
पेट में मौजूद बैक्टीरिया, मुख्य रूप से पाचन में मदद करता है। साथ ही ये खाए गए खाने से विभिन्न प्रकार पोषण को प्राप्त करता है। बैक्टीरिया की वैरायटी में कमी आने से मानव शरीर को कई नुकसान हो सकते हैं, जिसकी वज़ह से उन्हें तरह-तरह की बीमारियां भी लग सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जितना ज़्यादा वैरायटी में हम खाना खाएंगे, उतना ही वैरायटी का बैक्टीरिया हमारी आंतों में उत्पन्न होगा। इसलिए मनुष्य को उसके खाने की वैरायटी पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है।