November 23, 2024

आप नहीं जानते होंगे कुतुब मीनार से जुड़ें ये दिलचस्प फैक्ट्स

New Delhi/Alive News : दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। यह इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना माना गया है। इसे दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का खिताब हासिल है। इसके अलावा इसके आसपास भी कई ऐतिहासिक व खूबसूरत इमारतें बनी हुई है। हर साल देश-विदेश से लोग इसे देखने के लिए आते हैं। चलिए आज हम आपको कुतुब मीनार से जुड़ी कुछ खास व दिलचस्प बातें बताते हैं…

ऐसे रखा गया नाम
इस पर कई इतिहासकारों का कहना है कि इसका नाम कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम से पड़ा। कहा जाता है कि वे पहले मुस्लिम शासक थे जिन्होंने भारत पर शासन किया था। इसके अलावा कइयों का मानना है कि इसका यह नाम ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी को सम्मान देने के तौर पर रखा गया। ये बगदाद के एक संत थे। इन्हें इल्तुतमिश बहुत सम्मान देते थे।

दुनिया की सबसे ऊंची ईद की इमारत
कुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची ईद की इमारत माना गया है। इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर, जमीन से इसका व्यास 14.32 मीटर और शिखर पर जाने पर यह 2.75 मीटर हो जाता हैं। इसके साथ ही इके मीनार के शिखर तक पहुंचने के लिए 376 सीढ़ियां चलना पड़ता है। इसके अलावा कुतुब कॉम्प्लेक्स में घूमने पर फिल्म भी दिखाई जाती है, जो करीब 10 मिनट की है। इसमें कुतुब मीनार और कुतुब कॉम्प्लेक्स में स्थापित अन्य इमारतों के बारे में खास बातें बताई गई है। ऐसे में पहली बार घूमने पर भी आप खूब एन्जॉय कर सकते हैं।

कुतुब कॉम्प्लेक्स में स्थित कई ऐतिहासिक इमारतें
इसके चारों तरफ कई ऐतिहासिक इमारतें बनी हुई है। इसमें दिल्ली का लौह स्तंभ, अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश की कब्र, अलाई मीनार, अलाउद्दीन का मदरसा और कब्र, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद आदि ऐतिहासिक इमारतें है। सभी इमारतें बेहद आकर्षित होने से हर साल इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।

दोबारा बना था कुतुब मीनार का ऊपरी हिस्सा
कहा जाता है कि कुतुब मीरान के ऊपरी हिस्से पर बिजली गिर गई थी। ऐसे में इसके खराब होने पर इसे दोबारा फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाया गया था। पहले की तुलना पर अब इसके फ्लोर्स में बदलाव हो गया है। अब ये सफेद संगमरमर से तैयार किया गया है।

इसलिए कुतुबमीनार के भीतर एंट्री हुई थी बंद
माना जाता है कि 1974 से पहले आम लोग आसानी से कुतुब मीनार देख सकते हैं। मगर 4 दिसंबर 1981 में यहां पर एक हादसा होने से करीब 45 लोगों की जान चली गई थी। फिर उस दिन से कुतुब मीनार के अंदर जाने की एंट्री बंद हो गई।

2000 साल से अधिक पुराना लौह स्तंभ
कुतुब कॉम्प्लेक्स में स्थापित लौह स्तंभ आज से 2000 से भी अधिक पुराना माना जाता है। मगर इसकी खासियत है कि इसे आज तक जंग नहीं लगा है। ऐसे में देश-विदेश से लोग इस खूबसूरत व ऐतिहासिक इमारत को देखने आते हैं।

अलाउद्दीन खिलजी का अधूरा रह गया यह सपना
अलाउद्दीन खिलजी कुतुब मीनार जैसी पर दोगुनी एक और इमारत बनवाना चाहते थे। मगर वह इमारत अभी 27 मीटर ही हुई थी कि अलाउद्दीन खिलजी की मौत हो गई। ऐसे में उनके ना रहने पर और इस इमारत को बनवाना बिना मतलब का खर्चा समझकर उनके वंशजों ने इसका काम वहीं पर बंद करवा दिया था। बता दें, उस इमारत को ‘अलाई मीनार’ का नाम दिया गया था मगर वह आज तक पूरी नहीं हो पाई।