U.P./Alive News : माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, मन तो नहीं करता है इतनी सारी आपराधिक धाराओं से लैस किसी शख्स को इज्ज़त देने का, लेकिन शायद ये भी एक विशेषता होगी रामराज्य की, जहां ऐसे लोगों को सम्मान दिया जाता होगा ! खैर ये लोकतंत्र की मजबूरी है जिसे आसान भाषा में जनादेश कहा जाता है।
आपने कहा, “मैं ईद नहीं मनाता क्योंकि मैं एक हिन्दू हूं ” इस बात पर हो हल्ला नहीं होना चाहिए क्योंकि सही बात है, अगर आप हिन्दू हैं तो ईद क्यूं मनाएंगे? एक आम मुसलमान को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ेगा कि आप ईद मानते हैं या नहीं, लेकिन मेरी शिकायत तो कुछ और है।
आपको पता है कि आपके नाम के आगे माननीय क्यों लगता है? क्योकि आप एक सूबे के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए नहीं क्योकि आप एक हिंदू हैं। यकीन करिए कि एक आम नागरिक भी आपको इसलिए इज्ज़त देता है क्योकि आप एक मुख्यमंत्री हैं, वरना एक हिन्दू के तौर पर आपका बैकग्राउंड क्या है, वो किसी से छुपा नहीं है।
समस्या तब नहीं होती जब आप ईद नहीं मनाते, समस्या तब होती है जब आप एक मुख्यमंत्री (जो कि संवैधानिक पद है) का धर्म बताते फिरते हैं। आसान शब्दों में इसे ढिंढोरा पीटना कहते हैं, जबकि मुख्यमंत्री को ‘तटस्थ’ होना चाहिए। समस्या तब होती है जब आप टैक्स के पैसों से एक धर्म विशेष का प्रचार करते हैं और त्यौहार मनाने के नए-नए तरीके इजाद करते हैं।
अगर आपको अपने धर्म का प्रचार ही करना है तो इस्तीफा दे दें और दिल खोल कर प्रचार करें। प्रकाश राज ने सही कहा, “मुझे प्रॉब्लम ये नहीं है कि वो पुरोहित है इसलिए मुख्यमंत्री नहीं हो सकता, मेरी प्रॉब्लम ये है कि वो मुख्यमंत्री है फिर भी पुरोहित है, ये नहीं हो सकता।”