November 15, 2024

बीते पांच साल में यमुना हुई बेहद प्रदूषित, रिपोर्ट से हुआ खुलासा

New Delhi/Alive News: यमुना में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका खुलासा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट से हुआ है। जारी रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग इलाकों से लिए गए नमूने पैमाने पर खरे नहीं उतरे हैं। पल्ला को छोड़कर, जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) का वार्षिक औसत स्तर अलग-अलग जगहों पर बढ़ा है।

जैविक ऑक्सीजन मांग पानी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण मानक है। यह एक जल निकाय में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने के लिए सूक्ष्मजीवों द्वारा आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। पानी में तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम बीओडी का स्तर अच्छा माना जाता है। डीपीसीसी ने दिल्ली में यमुना के प्रवेश स्थान पल्ला में पानी के नमूने एकत्र करने के साथ वजीराबाद, आईएसबीटी, आईटीओ, निजामुद्दीन, आगरा कैनाल ओखला बैराज और असगरपुर से भी लिए गए है। 

डीपीसीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में (2017 से 2022 तक) पल्ला में वार्षिक औसत बीओडी स्तर में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। वहीं, वजीराबाद में यह तीन मिलीग्राम प्रतिलीटर से बढ़कर करीब नौ मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया है। कश्मीरी गेट पर बीओडी का स्तर लगभग 30 एमजी प्रति लीटर से बढ़कर 50 हो गया है। आईटीओ पर यह स्तर 22 मिलीग्राम प्रतिलीटर से बढ़कर 55, निजामुद्दीन पर 23 मिलीग्राम प्रति लीटर से लगभग 60 और ओखला बैराज में आगरा नहर में 26 मिलीग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 63 हो गया।

विशेषज्ञों के मुताबिक यमुना नदी को स्नान के लिए तभी उपयुक्त माना जा सकता है, जब बीओडी प्रति लीटर तीन मिलीग्राम से कम हो और घुलित ऑक्सीजन (डीओ) पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक हो। घुलित ऑक्सीजन (डीओ) जीवित जलीय जीवों के लिए उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा है। यदि पानी में डीओ का स्तर पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे चला जाता है, तो जलीय जीवन तनाव में आ जाता है।