भारतीय समाज में आमतौर ऐसा माना जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दु:ख प्रदाता है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। मानव जीवन में शनि के सकारात्मक प्रभाव भी बहुत होते है। शनि संतुलन व न्याय के ग्रह हैं। यह सूर्य के पुत्र माने जाते हैं। यह नीले रंग के ग्रह हैं, जिससे नीले रंग की किरणें पृथ्वी पर निरंतर पड़ती रहती हैं।
मिली जानकारी के अनुसार यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। इसलिए यह एक राशि का भ्रमण करने में ढाई वर्ष और 12 राशियों का भ्रमण करने में लगभग 30 वर्ष का समय लगाता है। न्याय के देवता शनिदेव को खुश करना कोई आसान काम नहीं है। ऐसे में यदि कोई इन्हें खुश कर लेता है तो उसे करियर में सफलता तो मिलती ही है साथ ही धन-धान्य की भी वृद्धि होती हैं।
शनिवार के दिन शनि देव की पूजा अर्चना करने से जातकों के कष्ट मिटते हैं। शनि देव को सभी ग्रहों का स्वामी और न्याय का देवता माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस जातक का शनि अच्छा होता है उसके जीवन में सुख और वैभव रहता है। वहीं, जिसकी जन्मपत्री में शनि कमजोर होता है वो जातक कष्ट झेलता रहता है। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए आज भक्त शनिवार का व्रत भी रखते है।
पूजा के बाद शनि चालीसा का पाठ करना जरूर माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनि चालीसा के पाठ से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कष्ट मिटते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है। पूरे विधि-विधान के साथ शनिदेव की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं। घर में सुख-शांति बनी रहती है और पापों का नाश होता है।
व्रत और पूजा विधि
शनिवार का व्रत यूं तो आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं। परंतु श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है। इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहित पूजा करनी चाहिए। शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दिया प्रज्वलित करना चाहिए।
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने में हुए पापों के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। शनि महाराज की पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।