April 16, 2025

विश्व गाैरेया दिवस: गाैरेया संरक्षण के प्रयास से बढ़ी गाैरेया की संख्या

Faridabad/Alive News: फरीदाबाद में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास से गाैरेया की संख्या धरती मां ट्रस्ट के प्रयास से गाैरेया की संख्या बढ़ रही है। शहर में कई जगह गाैरेया चहचहाने लगी है। धरती मां ट्रस्ट की ओर से जगह -जगह प्लाई और वुडन का घाैसला उपलब्ध कराये जाने से सेक्टर एरिया के लाेग भी गाैरेया संरक्षण के लिए आगे आने लगे है।

इस गाैरेया संरक्षण के कार्य में धरती मां ट्रस्ट 2009 से लगी हुई है। गाैरेया संरक्षण मां ट्रस्ट के संस्थापक बी. एस बिष्ट कहते हैं कि वह पहले फर्नीचर बनाते थे। एक दिन उनके घर के बाहर लगे बिजली के मीटर के नजदीक एक गाैरेया आई। इधर से उधर आ जा रही थी। उसे देखते हुए उनके मन में विचार किया कि क्याें न गाैरेया के लिए घाैसला बनाना शुरु किया जाये। वो वुडन की कुर्सी ताे बनाते ही है। इसके बाद उन्हाेंने वुडन का घाैसला बना कर अपने घर में लगा दिया। धीर-धीरे यहां गाैरेया की संख्या बढ़ने गली। फिर वह अन्य क्षेत्राें में जाने लगे। लागत और मेहनत काे देखते हुए उन्हाेंने प्लाई के घाैसले की कीमत 200 और वुडन के घाैसले की कीमत 300 रुपये रख दी। उन्हें इस बात की खुशी है कि उनके प्रयास से कई क्षेत्राें में घाैसले लगा दिए गए हैं।

सेहतपुर के साथ ही सेक्टर – 21 और 46 में कई जगह लाेगाें ने घाैसले लगाए हैं। उन्हाेंने विश्वास के साथ कहा कि जमीन से लगभग 10 फीट की ऊंचाई पर अगर प्लाईवुड का घाैसला बनाकर दीवार पर टांग दिया जाए ताे निश्चित ही उसमें गाैरेया रहने काे आएगी। गाैरेया पर्यावरण की दृष्टिकाेण से बहुत ही उपयाेगी है। कई प्रकार के कीटाणु जाे वनस्पति और जीव जंतुओं काे नुकसान पहुंचाते हैं। उन्हें अपना भोजन बनाती है। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि गाैरेया एक पर्यावरण प्रेमी हाेने के नाते मनुष्य प्रेमी भी है।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग
कई वर्ष पहले मेरे घर – आगन में दाे चार गारैया आती थी। घर में काेई घाैसला नहीं था। मुझे जब धरती मां ट्रस्ट की ओर से वुडन के घाैसले बनाने के बारे में जानकारी मिली ताे संस्था के पदाधिकारियाें से संपर्क किया और अपने घर में 12 घाैसले लगवा दिए। अब घर में गाैरेया की संख्या बढ़ गई है।
-प्रमाेद कुमार, सेक्टर-21सी निवासी।