Faridabad/Alive News : इस आधुनिकता की दौड़ में भाग रहे प्रत्येक देश के बीच धरती पर हर दिन प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। जिसके दुष्परिणाम समय-समय पर हमें देखने को मिलते हैं। जिसका एक दुष्परिणाम हमारे सामने कोरोना महामारी के रूप में सामने आया है।जिसका प्रकोप पूरे विश्व ने झेला है। पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लगातार तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने के लिए हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
दुनियाभर में 5 जून के दिन हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण और प्रदूषण से हो रहे नुकसान के प्रति जागरुक करना है। प्रदूषण का बढ़ता स्तर पर्यावरण के साथ ही इंसानों के लिए खतरा बनता जा रहा है। इसके कारण कई जीव-जन्तू विलुप्त हो रहे हैं। वहीं इंसान कोरोना संक्रमण, ब्लैक फंगस जैसी गंभीर बिमारियों का शिकार भी हो रहा हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की और से की गई थी। पर्यावरण दिवस की शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी। इसी दिन यहां पर दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें भारत की ओर से तात्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भाग लिया था।
इस सम्मेलन के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की भी नींव पड़ी थी। जिसके चलते हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन के संकल्प लिया गया। जिससे लोगों को हर साल पर्यावरण में हो रहे बदलाव से अवगत कराया जा सके और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए लोगों को समय-समय पर जागरुक किया जा सक।