Nibha Rajak/Alive News
Faridabad: ‘मैं एक जगी हुई स्त्री हूं, मैंने अपनी राह देख ली है, अब मैं मंजिल पाए बिना लौटूंगी नहीं, मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं, आज मैं शक्ति सद्बुद्धि और सपन्न हूं, आज मैं बराबरी में विश्वास रखती हूं। एक कवि द्वारा लिखी यह पंक्तियां इन महिलाओं पर बिल्कुल सटीक बैठती है आज महिलाएं सक्षम तो है ही इसके साथ साथ दूसरी महिलाओं को भी स्वावलंबी बना रही हैं।
आज की महिलाएं देश में बड़े बड़े मुकाम तक पहुंच रही हैं। वर्तमान में प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की बराबर की हिस्सेदारी है। स्वास्थ्य, न्याय, राजनीति, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक के अलावा अन्य क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों को चिह्नित करने के लिए आठ मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। महिला दिवस पर ऐसी ही संघर्षशील महिलाओं से बातचीत के अंश कुछ इस प्रकार है।
महिला संघर्ष से ज्यादा समर्पण की मूर्त है। वह प्रत्येक क्षेत्र में लगन के साथ कार्य करती है और जिस चीज को ठान लेती है उसे जरूर हासिल करती हैं। एक ग्रहणी होने के साथ साथ प्रोफेशनल लाइफ को मैनेज करना बखूबी जानती है आज देश की महिलाएं सशक्त है और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी है।
-सीमा त्रिखा, विधायक बड़खल।
मैंने एक मार्च 1987 में दो कमरे और तीन बच्चों के साथ स्कूल की शुरुआत की। रुकावटों और परेशानियों ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा पर मैं भी डटी रही और संघर्ष करती रही। घर परिवार के साथ स्कूल संभालना थोड़ा मुश्किल था पर मंजिल उन्हें ही मिलती है जिनके हौसले बुलंद हो।
-पुष्पा दयाल, चेयरमैन, सेंट मीका क्रिश्चिन हाई स्कूल।
आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। अगर खुद पर विश्वास हो तो हम हर चीज अचीव कर सकते हैं एक डॉक्टर होने के नाते मैं यही कहना चाहूंगी कि महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होना चाहिए और हर परिस्थिति से निकलने की कला भी आनी चाहिए।
-डॉ रंजीता गुप्ता, स्त्री रोग विशेषज्ञ, मेडीचेक हॉस्पिटल।
महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी और समान वेतन का अधिकार है। यदि उनके साथ भेदभाव होता है तो महिलाओं को जरूर आवाज उठानी चाहिए एक वकील होने के नाते मैं यही कहूंगी कि महिलाओं को हमेशा अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। हम समय-समय पर महिलाओं को जागरूक करते हैं जिससे वह अपने अधिकारों के बारे में जान सकें।
-शशि मिश्रा, सीनियर अधिवक्ता।