Faridabad/Alive News : जिले में सरकारी अस्पतालों की हालात इस कदर खराब है कि बीके सिविल अस्पताल में सोमवार शाम प्रसव पीड़ा से कराहती हुई एक छह माह की गर्भवती भर्ती होने का इंतजार करती रही। लेकिन अस्पताल के किसी कर्मचारी द्वारा उस गर्भवती महिला की कोई सुध नहीं ली गई और आखिर में महिला ने पार्क में ही अपने बच्चे को जन्म दे दिया, जिसे बचाया नहीं जा सका।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित महिला के परिजनों का आरोप है कि महिला को बल्लभगढ़ सिविल अस्पताल से बीके अस्पताल रेफर किया गया था, बावजूद इसके गर्भवती को भर्ती नहीं किया। अस्पताल स्टाफ कागजी औपचारिकताओं के लिए उन्हें इधर-उधर भटकाता रहा। उधर अस्पताल प्रशासन ने मामले को रफा दफा करने के लिए प्रांरभिक जांच के तौर पर एक स्टाफ नर्स को प्रसव कक्ष से हटाकर खानापूर्ति कर दी।
वहीं पीड़िता बबीता (30) के पति मनी लाल का आरोप है कि पत्नी को अस्पताल प्रबंधन की कमियों का खामियाजा चुकाना होगा। लेकिन अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि बच्चा गर्भ में ही मर चुका था। इसी कारण महिला को बल्लभगढ़ से बीके रेफर किया गया। मनीलाल ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी को समय से भर्ती नहीं किया गया और जांच के लिए जरूरी सामान की मांग की गई। कुछ स्टाफ कर्मियों ने सुविधा शुल्क के नाम पर उनसे रुपये भी मांगे और वह तीन हजार रुपये भुगतान करने के लिए तैयार भी हो गए थे। बावजूद इसके लापरवाही बरती गई और महिला को करीब 8 बजे अस्पताल में भर्ती किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार महिला का यह चौथा बच्चा था। मामला मीडिया में पहुंचा तो महिला को मंगलवार सुबह 11 बजे तक छुट्टी दे दी गई। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला ने घर जाने के लिए लिखित में अर्जी दी थी।