Faridabad/Alive News : भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भाईदूज त्यौहार दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला त्यौहार है। पूरे देश में मनाए जाने वाले भाईदूज के इस त्यौहार के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगातार उनके उज्जवल भविष्य और उनकी लंबी उम्र के लिए कामना करती है। यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 21 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती है। भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके भविष्य के लिए आशीश देती हैै। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवम् बहन अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती है।
भाईदूज की मान्यता :
डॉ. आचार्य संतोष जी महाराज ने बताया कि भाईदूज के त्यौहार को यम द्वितीय नाम से जाना जाता है। भाईदूज (यम द्वितीय) की गाथा यह है कि यमराज ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यमुना ने यमराज से वरदान मांगा कि जो भाई-बहन यमुना घाट पर इस दिन स्नान करगें उन्हे स्वर्ग की प्राप्ति हों। इसी कारण इस दिन भाई-बहन का यमुना घाट पर एक साथ नहाने का विशेष महत्त्व है। तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है।
भाईदूज करने की विधि :
डॉ. आचार्य संतोष जी महाराज ने बताया कि सर्वप्रथम सप्त चीरंजीवि अस्वथधामा, राजबली, वेदव्यास, हनुमान जी, विभिषण, परशुराम, कृपाचार्य का पूजन किया जाता है। इस दिन बहन थाली में रोली, अक्षत, पान, पुष्प, श्री फल सहित थाली सजाकर भाई को मौली (रक्षासूत्र) बांधकर तिलक लगा कर मिठाई, श्री फल सहित बहन पूजा करती है साथ ही भाई के उज्जवल भविष्य और लम्बी उम्र की मनोकामना करती है। मौली रक्षासूत्र व श्री फल सुख-समृद्धि का प्रतिक है। भाई बहन के पैर छूकर आर्शीवाद लेता है साथ ही दक्षिणा व उपहार देता है।
भाईदूज का शुभ समय :
डॉ. आचार्य संतोष जी महाराज के अनुसार शुभ समय वही है जब भाई का बहन टीका करे। हमारी प्राचीन मान्यताओं के आधार पर त्यौहार और व्यवहार का समय नही दिन होता है। इसलिए सभी बहनें त्यौहार को पूरा दिन मना सकती है।