Faridabad/Alive News : उपायुक्त जितेंद्र यादव ने कहा कि जिला में डेंगू, वायरल और मलेरिया बुखार के बचाव के लिए पूरी बाजू वाले कपड़े पहने। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जारी हिदायतों की पालना जरूरी है। नियमों की पालना करके स्वयं को सुरक्षित रख अन्य लोगों को सुरक्षित रखने में भागीदारी सुनिश्चित करें।
उपायुक्त जितेन्द्र यादव ने बताया कि जिला में आईडीएसपी लैब, ब्लड बैंक और मॉलिक्यूलर लैब में तीन एलिसा रीडर काम कर रहे हैं। जिला में स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा नमूने लिए जा रहे हैं। जिला में इनका परीक्षण करने उपरांत अब तक डेंगू के 205 मामले सामने आए हैं। इनमें से 165 लोगों का उपचार कर ठीक होने पर उन्हें अपने घरों में भेजा गया है। फिलहाल 40 डेगूं के केस एक्टिव है।
मलेरिया के लिए परीक्षण किया जा रहा है। इनमें स्लाइड्स के और आरडीटी के टेस्ट शामिल हैं। उपायुक्त जितेन्द्र यादव ने कहा कि मौसम में मच्छरों से डेंगू, वायरल व मलेरिया जैसी अनेकों बिमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। इनके बचाव के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहने। यद्यपि जिला में स्वास्थ्य विभाग आमजन के स्वास्थ्य के लिए गंभीरता से इसके बचाव के लिए प्रयासरत है, फिर भी नागरिकों को इन बिमारियों से बचने के लिए सचेत एवं जागरूक रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इन्हीं दिनों में पर्यावरण में मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है और ज्यादातर लोग मलेरिया, वायरल बुखार के शिकार हो जाते हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए उपायुक्त जितेंद्र यादव ने नागरिकों से आग्रह करते हुए कहा कि वे स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। अपने घरों के आसपास पानी जमा न होने दें। सभी गड्ढों को मिट्टी से भर दें और रुकी हुई नालियों को साफ रखें। यदि आपके घर में या आसपास पानी जमा होने से रोकना संभव नहीं है तो उसमें पेट्रोल या कैरोसिन ऑयल डालें। सभी रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें और उन्हें सुखाए और फिर भरें, घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें, अगर रखें तो उसे उल्टा करके रखें।
उपायुक्त जितेन्द्र यादव की अध्यक्षता में डीएलएमडब्ल्यूसी की बैठक हुई है। आईएमए और निजी कॉरपोरेट अस्पतालों के साथ भी दो बैठकें होती हैं। नागरिक अस्पताल में डेंगू वार्ड स्थापित है। जिसमें डेंगू के मरीज भर्ती करके उनका उपचार किया जा रहा है। इसकी बेड कैपेसिटी जरूरत के हिसाब से बढ़ाई जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि ब्लैड बैंक नागरिक अस्पताल बीके में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट कार्यरत है। जिला में आपातकालीन उपयोग के लिए 10-15 आरडीपी का एक पूल बनाए हुए हैं। ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में किसी भी आपातकालीन मांग को पूरा करने के लिए हमारे पास 70 एसडीपी किट आरक्षित हैं।
जिला में निजी अस्पतालों और ब्लड बैंकों में 13 अन्य एफेरेसिस इकाइयाँ हैं। जिनमें 253 एसडीपी किट उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि स्रोत न्यूनीकरण गतिविधियों के लिए एनआईटी एक, एनआईटी दो, ओल्ड फरीदाबाद और बल्लभगढ़ क्षेत्रों में प्रत्येक में 10-10 टीमें प्रजनन की जांच और स्लाइड तैयार करने के लिए एक एमपीएचडब्ल्यू और एक यूएमएस कार्यकर्ता के साथ सक्रिय की हैं। इन टीमों द्वारा अब तक जिला के 190195 घरों की जांच की गई है। विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाने वाले प्रजनन के लिए 4149 नोटिस जारी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि लार्वा को खोजने और नष्ट करने के लिए गहन निगरानी के लिए 10 ब्रीडिंग चेकर्स भी नियुक्त किए हैं। फॉगिंग के लिए हम एमसीएफ कार्यालय के संपर्क में हैं। इसके लिए जिला में 5 वाहन लगे हैं। मच्छर घनत्व के अनुसार क्षेत्रों को कवर करने के लिए 35 हाथ से संचालित मशीनें अलग से लगाई गई है। इसके अलावा जिला में 145 स्थायी जल निकाय हैं। जिनमें गंबुसिया मछली की नियमित जांच की जा रही है। आवश्यकता के अनुसार और भी छोड़े जाते हैं।
उन्होंने बताया कि मलेरिया के शुरूआती लक्षणों में तेज ठंड के साथ बुखार आना, सर दर्द होना व उल्टियों का आना शामिल है। इसलिए कोई भी बुखार आने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर मलेरिया की जांच करवाएं और अगर मलेरिया जांच में पाया जाता है तो उसका 14 दिन का इलाज स्वास्थ्यकर्मी की देख रेख में करे।
एसएमओ कम् मलेरिया के जिला नोडल अधिकारी डाँ रामभक्त ने बताया कि एमसीएफ क्षेत्रों में पाए जाने वाले लार्वा प्रजनन के लिए लगभग 3890 घरों में जारी करके उन्हें जुर्माना भी किया गया है और इसकी दैनिक रिपोर्टिंग तथा रिकार्डिंग भी की जा रही है। एमसीएफ के कुछ क्षेत्रों में एमसीएफ और स्वास्थ्य कर्मचारियों की संयुक्त यात्राएं की जा रही हैं। वहां पर बीमारियों के नियंत्रण के लिए फॉगिंग करवाई जा रही है।