Faridabad/Alive News : नगर निगम और महानगर विकास प्राधिकरण (एफएमडीए) के शहर में पेयजल आपूर्ति बेहतर करने के दावे कई बार दम तोड़ चुके है। पिछले कुछ दिनों से नगर निगम और महानगर विकास प्राधिकरण ने एक बार फिर ऐसा ही दावा शहर की जनता किए हुए है। बावजूद इसके एनआईटी स्थित वार्ड नंबर 3, 8, 10 और 11 के लोग पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं।
लोगों का आरोप है कि एक सप्ताह से वार्डों में रेनीवेल की पेयजल आपूर्ति ठप है। रेनीवेल लाइन संख्या-छह से पानी लेजरवैली पार्क के निकट बने बूस्टर तक नहीं पहुंच रहा है। इस कारण लाखों लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। मजबूरीवश उन्हें प्राइवेट टैंकरों से पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। इस बीच कॉलोनियों में पानी माफिया सक्रिय हो गया है। वहीं 800 रुपये में मिलने वाला टैंकर अब करीब 1200 रुपये में मिल रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार शहर को रोजाना करीब 400 एमएलडी पानी की जरूरत होती है। लेकिन इसके एवज में पानी की सप्लाई शहर में करीब 158 एमएलडी ही हो पा रही है। सबसे ज्यादा परेशानी तीन वार्डों में सामने आ रही है। वहीं एफएमडीए के एक अधिकारी के मुताबिक नए जल प्रबंधन के तहत करीब 40 फीसदी आबादी को ही रेनीवेल का पानी मिलेगा। ऐसे में जहां पहले पानी अधिक आपूर्ति किया जा रहा था, वहां कम हो गया है।
लेकिन जल प्रबंधन करते समय एफएमडीए के अधिकारी स्वयं इलाके की भूजल की स्थिति और पुराने ट्यूबवेलों की ठीक तरह से निगरानी करने में लापरवाही बरत रहे हैं। जिसकी वजह से एनआईटी क्षेत्र में पानी आपूर्ति के लिए लगे पुराने ट्यूबवेलों में से कुछ ट्यूबवेलों की हालत बद से बत्तर हो गयी है। बात दें, कि इस इलाके में 10 हजार लघु औद्योगिक इकाई हैं, जिनमें करीब 50 हजार से अधिक लोग काम करते हैं, जो अन्य इलाकों से आते हैं, लेकिन दिनभर पेयजल और सीवर सेवाओं का उपयोग यहीं करते हैं। इसी प्रकार इस इलाके में 400 से अधिक डेयरियां हैं, जिनमें पांच हजार से अधिक भैंसें हैं, जिनके लिए बड़ी मात्रा में पानी चाहिए। ऐसे में आम लोगों पानी नही मिल पा रहा है।
दूषित जल अनेक बीमारियों का बन रहा कारण
एनआईटी विधानसभा क्षेत्र की सघन आबादी वाली कॉलोनियों में अधिकांश जगहों में भूजल नहीं है। यदि कहीं है तो वह खारा या पीने योग्य पानी नहीं है। जलशक्ति मंत्रालय की एक रिपोर्ट में इस इलाके के भूजल में नाइट्रेट, फ्लोराइड, कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फेट आदि के अलावा लैड आदि भारी तत्व भी अधिक मात्रा में पाए गए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, इस भूजल को पीने से कैंसर, दिल की बीमारी, फेफड़े खराब होना, गुर्दा, दांत व चर्म आदि रोग की आशंका बढ़ जाती है।
वहीं नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार वार्ड नंबर 8,10 व 11 में करीब 150 ट्यूबवेल हैं, जिनमें से करीब 70 खराब हो चुके हैं। बाकी ट्यूबवेलों पर पानी माफिया और डेयरी संचालकों का कब्जा है। अधिकांश पानी माफिया नगर निगम के ट्यूबवेलों के पानी को ही जरूरतमंद लोगों को बेचते है। ऐसे में आम लोगों तक पानी नहीं पहुंचता है। ऐसे में लोगों को रेनीवेल का पानी बड़ी राहत दे रहा था, जो बीते पांच दिन से लोगों को नहीं मिल रहा है।